क्या आपको इस बात की जानकारी है कि देश में पूर्व की कांग्रेस सरकार ने दस साल तक देश के वीर शहीदों की याद में करगिल विजय दिवस नहीं मनाया था। लेकिन सांसद श्री राजीव चंद्रशेखर के अथक प्रयासों के बाद कांग्रेस सरकार देश में विजय दिवस मनाने के लिए राजी हुई और देश के शहीदों की याद में इस दिन को मनाया जाने लगा।
नई दिल्ली। आज पूरा देश देश के वीर शहीद जवानों की याद में करगिल शहीद दिवस मना रहा है। आज ही दिन देश के वीर जवानों ने पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया था। हालांकि इस जंग में भारत के करीब 5 सौ वीर जवान भी शहीद हुए थे। क्या आपको इस बात की जानकारी है कि देश में पूर्व की कांग्रेस सरकार ने दस साल तक देश के वीर शहीदों की याद में करगिल विजय दिवस नहीं मनाया था। लेकिन सांसद श्री राजीव चंद्रशेखर के अथक प्रयासों के बाद कांग्रेस सरकार देश में विजय दिवस मनाने के लिए राजी हुई और देश के शहीदों की याद में इस दिन को मनाया जाने लगा।
आज ही के दिन 26 जुलाई को भारतीय सेना ने कारगिल में लगभग तीन महीने तक चली लड़ाई के बाद जीत की घोषणा करते हुए, "ऑपरेशन विजय" की सफलता की घोषणा की। लेकिन इसके बाद देश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2009 तक कारगिल विजय दिवस नहीं मनाया था। सन् 1999 में युद्ध समाप्त होने के बाद तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार ने कारगिल शहीदों को सम्मान देने में विफल रही। इसके बाद जब भाजपा के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने जुलाई 2009 में इस मामले को संसद में उठाया तो कांग्रेस सरकार दबाव में आ गई और इस दिन को करगिल शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। आज कारगिल युद्ध की जीत की 21 वीं वर्षगांठ है।
असल में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार इस के पक्ष में नहीं थी। लेकिन भाजपा सांसद श्री राजीव चंद्रशेकर ने इसके लिए प्रयास शुरू किए और देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री को पत्र लिखा। कारगिल विजय समारोह की तारीख तय करने के लिए सांसद चंद्रशेखर द्वारा किए गए लगातार प्रयासों के बाद 2009 में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कारगिल विजय दिवस का जश्न मनाने के आदेश दिए। तब रक्षा मंत्री की नई दिल्ली में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर विजय दिवस मनाने की शुरूआत की।
Did u know 2004-2009 Cong led UPA did not celebrate or honor on July26 till I insistd in pic.twitter.com/kDEg4OY1An
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@rajeev_mp)यूपीए के सत्ता में आने के पांच साल बाद 2009 में पहला समारोह आयोजित किया गया था। अभिलेखों के आधार पर, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल के दौरान विजय दिवस मनाया। उन्होंने इंडिया गेट पर पारंपरिक पुष्पांजलि समारोह के माध्यम शहीदों को नमन किया और अपनी श्रद्धांजलि दी। लेकिन जैसे ही देश में कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सत्ता में आई तो शहीद दिवस को मनाया जाना बंद हो गया और इसके बाद सरकार ने पांच सालों तक देश के शहीद वीरों के लिए आयोजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी।
My annual tradition on - paying homage n respects to bravehearts who served n sacrificed at 🙏🏻🙏🏻 pic.twitter.com/QHGqeG4Xo6
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@rajeev_mp)तत्कालीन रक्षा मंत्री एंटनी को लिखे अपने पत्र में, श्री राजीव चंद्रशेखर ने लिखा था, "मैं 26 जुलाई को कारगिल में हमारे वीर जवानों की शहादत और देश देश की जीत की 10 वीं वर्षगांठ पर माननीय सदस्यों का ध्यान आकर्षित करता हूं।" ये दिन न केवल हमें गर्वित करता है बल्कि भी जताता है कि हमारे देश के वीर सैनिकों ने किस तरह से दुश्मनों को खत्म किया। आज का दिन हमारे सशस्त्र बलों के हजारों सैनिकों के कर्तव्य और बलिदान की प्रेरणादायक भावना का प्रतिनिधित्व करता है। ”
उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि भारतीयों के रूप में, हमारे वीर शहीदों के बलिदान और कर्तव्य को याद रखना हमारा भी कर्तव्य है।
इसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने श्री राजीव चंद्रशेखर को पत्र लिखा। श्री राजीव चंद्रशेखर के कई बार अनुरोध करने के बाद, तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने चंद्रशेखर के पत्र का जवाब देते हुए कहा, "शहीदों की पूर्वता और सम्मान को ध्यान में रखते हुए, देश में अब करगिल विजय दिवस श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा (पहली बार यह 2009 में आयोजित किया गया था) इस साल भी 26 जुलाई, 2010 को अमर जीवन ज्योति पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा । "