असम की सियासत में कांग्रेस ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उसमें अपना वजूद बचाने के लिए मुस्लिम कट्टरपंथी माने जाने वाली बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से हाथ मिलना पड़ रहा है। असल में राज्य में कांग्रेस कमजोर हो गई है और उसके सभी नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं।
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अब उन राजनैतिक दलों से गठबंधन कर रही है जिन्हें वह कभी भाजपा की बी-टीम कहा करती थी। असम की सियासत में कांग्रेस ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उसमें अपना वजूद बचाने के लिए मुस्लिम कट्टरपंथी माने जाने वाली बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से हाथ मिलना पड़ रहा है।
असल में राज्य में कांग्रेस कमजोर हो गई है और उसके सभी नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं। लिहाजा अब वह अजमल की पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन कर रही है। कभी कांग्रेस अजमल की पार्टी को भाजपा की बी टीम बताया करती थी। लिहाजा अब कांग्रेस डेमोक्रेटिक फ्रंट से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। राज्य में करीबी 14 साल पहले राज्य में कांग्रेस नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने बदरुद्दीन अजमल को पहचानने से इनकार कर दिया था और आज कांग्रेस राज्य में इस स्थिति में आ गई है कि वह उसी बदरुद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) से गठबंधन कर रही है और अगले साल होने वाले चुनावों में उतरने का फैसला कर रही है।
राज्य में अगले साल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से ही तैयारी कर ली है और इसके लिए उसने राजनीतिक समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। फिलहाल राज्य में कांग्रेस भाजपा विरोधी तमाम सियासी दलों के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में जुटी है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य में एआईयूडीएफ ने कांग्रेस के अगुवाई वाले महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए हामी भर दी है जबकि राज्य में वामपंथी दल भी गठबंधन में शामिल होने के बारे में अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं।
राज्य में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ने बंगाली मुस्लिमों को अपनी तरफ खींचा है और राज्य में मुस्लिम एआईयूडीएफ के समर्थक माने जाते हैं। ये भी कहा जाता है राज्य में बंगाली मुस्लिम आबादी को राज्य में बसाने के लिए एआईयूडीएफ उन्हें सहयोग करती है। हालांकि राज्य के पूर्व सीएम तरुण गोगोई कई बार सार्वजनिक तौर कह चुके हैं कि एआईयूडीएफ सांप्रदायिक पार्टी है और वह भाजपा की टीम बी है। लेकिन अब सियासी मजबूरियों के कारण कांग्रेस को एआईयूडीएफ से हाथ मिलाना पड़ रहा है।