सिंधिया के गढ़ में फिर से पार्टी को खड़ा कर रही है कांग्रेस

राज्य की 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। क्योंकि पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा देकर 22 विधायक भाजपा में चल गए थे और इसके कारण राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी 22 विधायक कभी कांग्रेस के महासचिव रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे और भाजपा में शामिल होने के बाद दो नेताओं को मंत्री भी बनाया गया है। 

Congress is again raising the party in Scindia's stronghold

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश कांग्रेस अब दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में पार्टी को मजबूत रही है। राज्य में आने वालों दिनों उपचुनाव होने हैं और कांग्रेस के सामने चुनाव जीतना एक बड़ी चुनौती और इसलिए पार्टी सिंधिया के गढ़ में पार्टी को मजबूत कर उन्हें पटखनी देना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने जिला इकाईयों को साने सिंधिया टर्फ में जिला इकाइयों को पुनरुद्धार करने की जाना बनाी  है।

Congress is again raising the party in Scindia's stronghold

राज्य की 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। क्योंकि पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा देकर 22 विधायक भाजपा में चल गए थे और इसके कारण राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी 22 विधायक कभी कांग्रेस के महासचिव रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे और भाजपा में शामिल होने के बाद दो नेताओं को मंत्री भी बनाया गया है। अब कांग्रेस की नजर राज्य में होने वाले उपचुनावों पर है। हालांकि इस चुनावों को लेकर भाजपा ने भी तैयारी शुरू कर दी है। क्योंकि अगर भाजपा 22 से कम सीटें जीतते ही तो यह उसके खिलाफ जाएगा वहीं कांग्रेस अगर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा होता तो राज्य में कांग्रेस इसके जरिए राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाएगी।

ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस ने दो महीने बाद राज्य में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की है।  जबकि अध्यक्षों के पदों पर सिंधिया के करीबी लोग थे। कांग्रेस ने राज्य की गुना, ग्वालियर, श्योपुर, विदिशा, सीहोर, रतलाम, शिवपुरी, होशंगाबाद और देवास ग्रामीण में 11 नए जिला अध्यक्ष नियुक्त किए हैं। इससे पहले पार्टी ने मुकुल वासनिक को प्रभारी महासचिव और दो सचिव नियुक्त किए थे। अब पार्टी ने राज्य की 24 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए तैयारियां कर दी हैं।

क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में गए 22 विधायकों के इस्तीफे सीटें खाली हुई हैं जबकि दो सीटें पहले से ही खाली थी। राज्य में कांग्रेस 2018 में सत्ता में आई थी। हालांकि उस वक्त पार्टी सिंधिया को मनाने में कामयाब रही और राज्य का सीएम कमलनाथ को नियुक्त किया गया था। लेकिन सिंधिया को पार्टी में किनारा करने के बाद आखिर कार सिंधिया ने  भाजपा का दामन थामा।  जिसके कारण कांग्रेस के हाथ से एक हाथ निकल गया और मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।

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