गुजरात के कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं इस बात का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट में होगा। दरअसल हार्दिक को दंगा भड़काने के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने दो साल की सजा दी है। जिसकी वजह से वह चुनाव लड़ पाने के अयोग्य हो गए हैं। हार्दिक ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अब सुप्रीम कोर्ट पटेल का भाग्य का फैसला करेगा कि वह आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ पाएंगे या नही।
गुजरात हाइकोर्ट ने दंगा भड़काने के मामले में हार्दिक की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हार्दिक को मेहसाणा के विसनगर में दंगा भड़काने के एक मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है और कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।
हार्दिक पटेल ने गुजरात हाइकोर्ट में अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सके। लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालही में कांग्रेस में शामिल होने वाले पाटीदार नेता गुजरात के जामनगर से चुनाव लड़ने वाले थे।
हार्दिक पटेल को बीजेपी विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने के मामले में विसनगर कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 2 साल की जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 17 आरोपियों में से 3 लोगों को दोषी ठहराया है, वहीं 14 लोगों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया है।
2015 के इस दंगा केस में हार्दिक पटेल के अलावा लालजी पटेल को भी दोषी करार दिया गया है। जनप्रतिनिधि कानून 1951 के मुताबिक दागी नेताओं के चुनाव लड़ने को लेकर कानून पहले से मौजूद है। जिसमें सजा के बाद 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है।
इसी कानून के चलते चारा घोटाले में दोषी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चुनाव लड़ने से रोक लगाई गई है।