क्या गांधी परिवार के चंगुल से निकल नहीं पाएगी कांग्रेस

By Team MyNation  |  First Published Jun 1, 2019, 11:25 AM IST

आज कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक में एक बार फिर सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया है। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का लीडरशिप पर बड़े सवालिया निशान उठने शुरू हो गए। नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा सभा में कुल सदस्यों का दस फीसदी हिस्सा राजनैतिक दल के पास होना चाहिए। लिहाजा कांग्रेस के पास सदस्य कम होने के कारण इस बार भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा उसे नहीं मिल सकेगा।

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद आज कांग्रेस संसदीय दल की पहली बैठक हुई। इस बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल के नेता चुन  लिया गया है। पिछले लोकसभा में  सोनिया गांधी ही संसदीय दल की नेता थी, हालांकि इस बार माना जा रहा था कि सोनिया गांधी संसदीय दल के नेता का पद छोड़ सकती हैं और राहुल गांधी कांग्रेस संसदीय दल के नेता चुने जा सकते हैं। लेकिन सोनिया गांधी को फिर से संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। असल में  कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने सलाह दी थी कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर के नेता को बनाया जाना चाहिए तो उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी राहुल के फार्मूले को संसदीय दल में लागू कर सकती है। 

फिलहाल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा कांग्रेस पार्टी एक बार फिर खो चुकी है। कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में 52 सीटें मिली हैं जबकि इसके लिए 54 सदस्य होने जरूरी है। नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा सभा में कुल सदस्यों का दस फीसदी हिस्सा राजनैतिक दल के पास होना चाहिए।

लिहाजा कांग्रेस के पास सदस्य कम होने के कारण इस बार भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा उसे नहीं मिल सकेगा। आज इस बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। इसका प्रस्ताव पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रखा, जिसे सभी सदस्यों ने सर्वमति से पारित कर दिया। 

पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष का पद छोड़ने की बात कही थी। फिलहाल अभी तक इस पर फैसला नहीं हुआ है क्योंकि कार्यसमिति ने राहुल के प्रस्ताव को विरोध किया है। हालांकि इस बैठक में राहुल गांधी ने गांधी परिवार से बाहर के नेता को इस पर नियुक्त करने की वकालत की थी। हालांकि पहले कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल गांधी का यही फार्मूला पार्टी संसदीय दल के नेता के लिए भी करेगी। लेकिन सोनिया गांधी के संसदीय दल का नेता चुने के बाद सभी तरह की अटकलें खत्म हो गयी हैं। 

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