स्थापना दिवस के जरिए पार्टी संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करेगी और सभी राज्यों की राजधानियों में 'संविधान बचाओ- भारत बचाओ' रैली का आयोजन करेगी। हालांकि कांग्रेस पिछले कई दिनों इस कानून का विरोध कर रही हैं। कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश और असम में इसका जोरदार तरीके से विरोध कर रही हैं और इसी के तरह राहुल गांधी को असम और प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश भेजा गया है।
नई दिल्ली। कांग्रेस का आज स्थापना दिवस है। स्थापना दिवस के जरिए कांग्रेस नेता नागरिकता कानून का विरोध कर जनता को साधने की कोशिश करेंगे। राहुल गांधी जहां असम में मार्च निकालकर इस कानून का विरोध करेंगे वहीं प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रैली निकालकर विरोध जताएंगी। हालांकि इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी मुख्यालय में पार्टी का झंडा फहराएंगी।
स्थापना दिवस के जरिए पार्टी संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करेगी और सभी राज्यों की राजधानियों में 'संविधान बचाओ- भारत बचाओ' रैली का आयोजन करेगी। हालांकि कांग्रेस पिछले कई दिनों इस कानून का विरोध कर रही हैं। कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश और असम में इसका जोरदार तरीके से विरोध कर रही हैं और इसी के तरह राहुल गांधी को असम और प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश भेजा गया है।
प्रियंका गांधी काफी अरसे से उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं। राज्य में कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर हो गया है। राज्य में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। जबकि प्रियंका गांधी 2022 को लेकर यूपी में संगठन को मजबूत करने की कोशिश में हैं। वहीं नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान बिजनौर में मारे गए मुस्लिम युवक के घर जाकर प्रियंका गांधी ने नई बहस छोड़ दी थी। हालांकि इसके बाद मेरठ जाते वक्त यूपी पुलिस ने प्रियंका गांधी को सीमा पर ही रोक दिया था।
फिलहाल कांग्रेस कुछ दिन पहले दिल्ली में हुई भारत बचाओ रैली की सफलता से खुश है और इसी के मद्देनजर वह विभिन्न राज्यों में ऐसी रैलियों का आयोजन कर रही है। जिसके जरिए वह केन्द्र की एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है नागरिकता कानून के विरोध को लेकर दिल्ली के जामिया में हुए प्रदर्शन और हिंसक प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ प्रियंका गांधी ने इंडिया गेट पर पर धरना दिया था। लिहाजा तभी से माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी युवा और छात्रों को समर्थन देकर इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती हैं।