क्यों पार्टी अध्यक्ष के लिए सोनिया के करीबियों पर ही दांव खेल रहे हैं राहुल

अभी तक जितने भी नेताओं के नाम अध्यक्ष के लिए जा रहे वह सब सोनिया के करीबी माने जाते हैं। यानी वह राहुल टीम का हिस्सा नहीं है। हालांकि इन नेताओं के पास पार्टी के अहम पद तो हैं। लेकिन इन लोगों को सोनिया गांधी का ही करीबी माना जाता है। क्योंकि सोनिया की अगुवाई में ही कांग्रेस ने लगातार केन्द्र में दो बार सरकार बनाई।

Congress taking stake on sonia gandhi close aide for party president

कांग्रेस पार्टी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर अभी तक दुविधा में है। आज राहुल गांधी ने सोशल मीडिया के जरिए बता दिया है कि वह अब कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं। लेकिन अभी तक जितने भी नेताओं के नाम अध्यक्ष के लिए जा रहे वह सब सोनिया के करीबी माने जाते हैं। यानी वह राहुल टीम का हिस्सा नहीं है। हालांकि इन नेताओं के पास पार्टी के अहम पद तो हैं। लेकिन इन लोगों को सोनिया गांधी का ही करीबी माना जाता है। क्योंकि सोनिया की अगुवाई में ही कांग्रेस ने लगातार केन्द्र में दो बार सरकार बनाई।

Congress taking stake on sonia gandhi close aide for party president

फिलहाल आज दिनभर राजनैतिक गलियारों में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा का नाम सबके सामने आया। तय भी कुछ नहीं है। वोरा को सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है और उन्होंने कई सालों तक पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद संभाला। लेकिन पिछले साल राहुल गांधी ने उन्हें इस पद से हटा दिया था और उनकी जगह सोनिया के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल को इस पद पर नियुक्त कर दिया था। हालांकि अभी तक वोरा महासचिव के पद पर हैं और अब उनका नाम सबसे आगे माना जा रहा है। 90 साल के वोरा कांग्रेस की सरकारों में अहम पदों पर रह चुके हैं।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सुशील कुमार शिंदे का नाम पर भी गांधी परिवार में चर्चा हुई। दो दिन पहले ही उन्हें इस पद के लिए सबसे आगे माना जा रहा था। शिंदे गांधी परिवार के करीबी होने के साथ महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। हालांकि शिंदे के नाम पर गांधी परिवार की सहमति के साथ ही सीडब्लूसी की मंजूरी भी जरूरी है। हालांकि गांधी परिवार के चयन पर कोई अंगुली नहीं उठाने वाला है। लेकिन आज शिंदे का नाम वोरा के नाम से पीछे छूटता हुआ दिखाई दे रहा है।

कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम तय माना जा रहा था। लेकिन राहुल गांधी के गहलोत से नाराजगी के कारण उनके नाम पर सहमति नहीं बन सकी। राजस्थान में हालांकि विधानसभा चुनाव सचिन पायलट की अगुवाई में लड़े गए लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर अशोक गहलोत के नाम पर गांधी परिवार में सहमति बनी। गहलोत को कर्नाटक में सरकार बनाने का श्रेय भी जाता है। लिहाजा गांधी परिवार की करीबी के कारण उनका नाम तेजी से उभरा। लेकिन अभी तक कांग्रेस में इसको लेकर कुछ भी तय नहीं है।

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