तो क्या इस नारे से लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है कांग्रेस..जानें क्या है नारा

By Team MyNation  |  First Published Dec 28, 2018, 9:37 AM IST

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने अब लोकसभा चुनाव पर अपना ध्यान केन्द्रीत करना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अब नए नारे के साथ उतरना चाहती है। ताकि अपने विरोधी भाजपा को चुनाव में परास्त किया जा सके।

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस पार्टी ने अब लोकसभा चुनाव पर अपना ध्यान केन्द्रीत करना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अब नए नारे के साथ उतरना चाहती है। ताकि अपने विरोधी भाजपा को चुनाव में परास्त किया जा सके। इस नए नारे में कांग्रेस ने धर्म से लेकर, नौजवान, किसान और सेना के जवानों को भी शामिल किया है। ताकि एक ही नारे में सभी को शामिल कर चुनाव में टारेगट किया जा सके।

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने एक नया नारा दिया है। इस नए नारे में उसने पूरे देश के विभिन्न वर्गों के लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है। कांग्रेस का नया नारा है, हिंदू न मुसलमान, जय किसान,जय नौजवान। कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि इस नारे के जरिए वह भाजपा के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को खत्म कर सकती है। तीन राज्यों में कांग्रेस को जीत दिलाने में किसानों की बड़ी भूमिका रही। लिहाजा तीन राज्यों में सरकार बनते ही कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने का बड़ा फैसला सुनाया। पार्टी की इसी रणनीति के कारण तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय रथ को राक देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।

इससे पहले कर्नाटक व गुजरात के चुनाव में भी ग्रामीण मतदाताओं को भाजपा से मोह भंग देखने को मिला और कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षा से ज्यादा समर्थन मिला। पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में किसानों को केन्द्र में रखना चाहती है। पार्टी को लग रहा है कि भाजपा के भगवान राम पर किसान और नौजवान का नारा भारी पड़ेगा। उसे लग रहा है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य 2004 की तरह का है जब तत्कालीन वाजपेयी सरकार फील गुड में डूबी हुई थी और किसानों की समस्याओं को नजरंदाज कर दिया गया था। नतीजा बाजपेयी जैसे लोकप्रिय नेता को हार का मुंह देखना पड़ा था।

अभी भी राजनीतिक हालात कमोवेश वैसे हैं। जिन किसानों के भरपूर समर्थन के बूते भाजपा अपने दम पर सत्ता में आयी थी उनको किये गये सारे वायदे भुला दिये गये हैं। 2014 में मोदी ने अपनी हर जनसभा में किसानों को लेकर बड़े-बड़े वायदे किये थे। किसानों को उनकी लागत का पचास गुना समर्थन मूल्य देने का वायदा भाजपा की जीत में निर्णायक साबित हुआ था। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वायदे पर अब किसानों को ऐतबार नहीं है और देश की अर्थव्यवस्था के जो हालात हैं उसमें यह वायदा पूरा होना भी संभव नहीं है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों को लग रहा है कि यदि वह किसानों और युवाओं को अपने साथ जोड़े रहने में सफल रही तो 2019 की सत्ता की डगर आसान हो सकती है। तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जिस तरह कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेते ही कर्ज माफी की घोषणा की और उसके बाद राहुल गांधी जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर देश भर के किसानों की कर्जमाफी का दवाब बना रहे हैं उससे साफ है कि कांग्रेस ने मिशन 2019 के लिए अपने लक्ष्यों को तय कर दिया है।
 

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