क्या नए साल में चलेगी मोदी की ड्रीम ट्रेन-18..जानें क्यों

By Team MyNation  |  First Published Dec 28, 2018, 9:31 AM IST

दरअसल रेल मंत्रालय जनवरी में होने वाले कुंभ मेले के दौरान इस ट्रेन को दिल्ली-इलाहाबाद-वाराणसी रूट पर चलाना चाहता है। लेकिन सीसीआरएस का मानना है कि इस रूट पर 130 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार में ट्रेनों को नहीं चलाया जा सकता है।

नए साल को शुरू होने में महज तीन दिन बचे हैं। देश की जनता की नजर इस साल के मोदी सरकार के सबसे बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट का इंतजार कर रही है। लेकिन क्या ये तेज रफ्तार से चलने वाली ये ट्रेन-18 नए साल में चलाई जाएगी। अगर ऐसा होता है तो इस ट्रेन का नाम भी बदलना पड़ेगा। तब इसका नाम ट्रेन-19 होगा। क्योंकि अभी तक दिल्ली वाराणसी के बीच इस ट्रेन को चलाने के लिए रेलवे सुरक्षा से अनुमति नहीं मिली है।

दरअसल रेल मंत्रालय जनवरी में होने वाले कुंभ मेले के दौरान इस ट्रेन को दिल्ली-इलाहाबाद-वाराणसी रूट पर चलाना चाहता है। लेकिन सीसीआरएस का मानना है कि इस रूट पर 130 किलोमीटर से ज्यादा रफ्तार में ट्रेनों को नहीं चलाया जा सकता है। अगर चलाया गया तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। जबकि ऐसा कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री 29 दिसंबर को देश की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन-18 को हरी झंडी दिखा सकते हैं।

फिलहाल इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है कि ये ट्रेन इसी साल चलेगी या अगले साल की शुरूआत में इसे चलाया जाएगा। हालांकि अभी तक कोटा और आगरा के बीच इस ट्रेन का सफल ट्रायल किया गया है। ट्रायल के बाद आए सुझावों के आधार पर रेल मंत्रालय को अब इसकी शुरुआत करने का निर्णय लेना है। चेन्नई स्थित रेल कोच फैक्टरी आईसीएफ में निर्मित ट्रेन 18  का रैक कुछ सप्ताह पहले रेलवे को मिल गया है। चूंकि इस रैक को ट्रेन 18 को इसी साल चलाना है इसलिए इसका नाम ट्रेन-18 रखा गया है। अगर ये इस साल नहीं चलती है तो इसका नाम बदलना पड़ेगा।

ट्रायल के नतीजों के आधार पर चीफ रेलवे सेफ्टी कमिश्नर ने कुछ सुझाव दिए हैं, जिन पर रेलवे को अमल करना है। अभी तक हुए ट्रायल में दिल्ली से आगरा के बीच इस ट्रेन को अधिकतम रफ्तार में चलाया गया है। यह रूट 160  किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए सक्षम है। जबकि ट्रेन- 18 को 160  किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है। रेल मंत्रालय से मिले संकेतों के अनुसार इस ट्रेन को जनवरी के पहले पखवाड़े में चलाया जाएगा। फिलहाल इस ट्रेन को दिल्ली और वाराणसी के बीच ही चलाने की प्लानिंग है। वहीं सीआरएस की मंजूरी के बाद अब रेलवे बोर्ड के सदस्य इस ट्रेन को चलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर किए जाने वाले कार्य कर रहे हैं।

हालांकि इनमें से काफी कार्य पहले ही किए जा चुके हैं। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि दिल्ली-इलाहाबाद-वाराणसी रूट को 180 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार के लिए तैयार करने में 3 महीने का समय लग सकता है। लेकिन इस ट्रेन को कम रफ्तार से इस रूट पर चलाया जा सकता है। ऐसे में अगर अगले तीन दिनों में इसका उद्घाटन नहीं होता है तो इसका नाम बदलकर ट्रेन-19 किया जा सकता है।

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