पश्चिम बंगाल में अब कांग्रेस अलग-थलक पड़ गयी है। राज्य में कांग्रेस का वामदलों के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका है। अब कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में एक नहीं बल्कि तीन मोर्चों पर अकेले चुनाव लड़ना होगा।
पश्चिम बंगाल में अब कांग्रेस अलग-थलक पड़ गयी है। राज्य में कांग्रेस का वामदलों के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका है। अब कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में एक नहीं बल्कि तीन मोर्चों पर अकेले चुनाव लड़ना होगा। राज्य में कांग्रेस कई मुद्दों पर ममता सरकार के पक्ष में खड़े दिखती आयी है। लिहाजा अब उसे चुनाव में ममता सरकार के खिलाफ भी चुनाव लड़ना होगा।
उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाद कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में झटका लगा है। राज्य में कांग्रेस अब अकेले चुनाव लड़ेगी। क्योंकि राज्य में कांग्रेस के साथ वाम दलों के साथ गठबंधन नहीं हो पाया है। वहां बिहार में कांग्रेस का गठबंधन टूटने के कगार पर है। असल में कांग्रेस को तरजीह न देते हुए वामदलों ने पश्चिम बंगाल में गठबंधन को लेकर चल रही बातचीत के बीच 25 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। जिसको लेकर कांग्रेस काफी नाराज हुई और अब उसने राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राज्य में कांग्रेस कई मुद्दों पर टीएमसी के साथ खड़ी दिखाई देती है और अब उसे अकेले ही तीन मोर्चों पर चुनाव लड़ना होगा।
गौरतलब है कि भाजपा के खिलाफ खिलाफ मोर्चाबंदी कर रही कांग्रेस पश्चिम बंगाल के अलावा भी कई राज्यों में गठबंधन करने में असफल रही है, जिसमें से उत्तर प्रदेश सबसे अहम है, वहीं दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव गठबंधन नहीं हो पाया है और अब आप ने भी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गौरतलब है कि राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं और 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने शानदार सफलता हासिल की थी और 34 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। जबकि सीपीएम दो, बीजेपी दो और कांग्रेस चार सीट जीती थीं।
लेकिन इस बार राज्य में भाजपा लगातार टीएमसी को टक्कर दे रही है और पंचायत चुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गयी। राज्य में जनता भी पश्चिम बंगाल सरकार की मुस्लिम तृष्टिकरण के खिलाफ हैं और भाजपा इस मुद्दे पर काफी सक्रिय है।