दिल दहला देने वाले निर्भया गैंगरेप मामले में अदालत ने सुरक्षित किया फैसला

By Gopal K  |  First Published Apr 6, 2019, 7:08 PM IST

16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में ऐसी वारदात हुई थी। जिससे पूरा देश दहल गया था। लेकिन अब यह मामला अंजाम तक पहुंच चुका है। 
 

नई दिल्ली:  निर्भया गैंगरैप और हत्याकांड मामले में चारों दोषियों की फांसी की तारीख तय करने को लेकर दायर याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 23 अप्रैल को तय करेगा कि क्यूरेटिव बगैर फैसले के फांसी ती तारीख तय की जा सकती है या नहीं। 

पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सभी दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है। ऐसे में उन्हें अभी फांसी नही दी जा सकती है। 
वहीं जेल सुप्रिटेंडेंट ने कोर्ट को बताया था कि अगस्त 2018 में चार दोषियों में से एक नए उनसे कहा था कि वो सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल करेंगे। 

दूसरी ओर निर्भया के अभिभावक की तरफ से कहा गया था कि चारों दोषियों में किसी की भी दया याचिका या क्यूरेटिव याचिका लंबित नहीं है।

गौरतलब है कि दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात में निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप हुआ था। जिसके कुछ दिनों बाद पीड़िता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इस मामले के एक दोषी ने जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। साथ ही एक अन्य नाबालिग अपराधी को कोर्ट ने 3 साल के लिए बाल सुधार गृह में भेजने की सजा सुनाई थी। 

वहीं अन्य चार आरोपियों को निचली अदालत में फांसी की सजा सुनाई गई। इसके बाद अपराधियों ने फांसी की सजा के खिलाफ हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल किया। जिसके बाद सभी दोषियों की दया याचिका को खारिज कर फांसी की सजा बरकरार रखा गया। अब दया याचिका के बाद सभी दोषियों के पास फांसी की सजा रद्द करवाने के लिये सिर्फ क्यूरेटिव याचिका का ही विकल्प बचा है। 

इससे पहले आतंकी याकूब मेमन के केस में भी क्यूरेटिव याचिका दायर की गई थी। कोर्ट का कहना है कि जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि दोषी क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर रहे है या नही तब तक उनकी फांसी की तारीख तय नहीं की जा सकती है।
 

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