नेताओं के बेटे हारे पर बेटियों ने बचाई सियासी विरासत

By Team MyNation  |  First Published May 24, 2019, 6:04 PM IST

राजनीतिक विरासत को लेकर अक्सर यही माना जाता है कि बेटा पिता के नक्शेकदम पर चलकर सार्वजनिक जीवन में बड़ी सफलता हासिल करेगा, लेकिन इस बार के आम चुनाव में यह गलत साबित हुआ। मशहूर सियासी लोगों के बेटों को 17वीं लोकसभा के चुनाव में पराजय का कड़वा स्वाद चखना पड़ा। 

लोकसभा चुनाव में परिवारवाद बड़ा मुद्दा रहा। चर्चित नेताओं की सियासी विरासत संभालने के लिए कई नेताओं के बेटे-बेटियां मैदान में थे। हालांकि इस बार जहां बेटों को नाकामी का स्वाद चखना पड़ा वहीं बेटियों ने 17वीं लोकसभा में राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल लिया। 

राहुल, वैभव, दीपेंद्र हुड्डा ने गढ़ गंवाया

शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से होती है। वह अपनी परंपरागत अमेठी सीट हार गए। हालांकि केरल के वायनाड से उन्हें बड़ी जीत मिली। इस सूची में राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का नाम आता है। वह तमाम कोशिश के बाद जोधपुर सीट जीतने में नाकाम रहे। राहुल गांधी को भाजपा की स्मृति ईरानी ने करीब 55 हजार वोटों से हराया। वहीं वैभव गहलोत को भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2.70 लाख वोटों से करारी शिकस्त दी। उधर, हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा अपने पारिवारिक गढ़ कहे जाने वाले रोहतक से हार गए। दीपेंद्र 16वीं लोकसभा में सांसद थे।

ज्योतिरादित्य, मिलिंद देवड़ा भी हारे

पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार का गढ़ कही जाने वाली मध्य प्रदेश की गुना सीट से हार गए जबकि यह सीट 1999 से उनके कब्जे में थी। इस कड़ी में एक नाम राजस्थान के बाड़मेर से भाजपा के संस्थापक सदस्य जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह का भी है। वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे और इस चुनाव में उन्हें 3.2 लाख वोटों से शिकस्त खानी पड़ी। महाराष्ट्र में एनसीपी के नेता अजित पवार के बेटे पार्थ पवार मावल, मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा मुंबई दक्षिण से हार गए। पार्थ को 2,15,913 और मिलिंद देवड़ा को 1,00,067 वोटों से हार मिली। वहीं बागपत सीट पर आरएलडी नेता अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी भी चुनाव हार गए।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के पुत्र निखिल कुमारस्वामी मांड्या सीट से सवा लाख वोट से हार गए। हालांकि बेटों के मुकाबले बेटियों ने पिता की सियासी विरासत को बखूबी संभाला है। एनसीपी नेता शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने बारामती सीट से एक बार फिर विजय पताका फहराई है। महाराष्ट्र की ही बीड़ सीट से भाजपा के दिवंगत नेता प्रीतम गोपीनाथ मुंडे की बेटी प्रीतम गोपीनाथ एक बार फिर लोकसभा पहुंची है। वहीं मुंबई नार्थ सेंट्रल से प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन ने कांग्रेस की प्रिया दत्त को हराया। पूनम भाजपा की युवा मोर्चा की अध्यक्ष हैं और उनकी गिनती तेज तर्रार नेताओं में होती है। वहीं प्रिया दत्त दिवंगत अभिनेता और कांग्रेस सांसद रहे सुनील दत्त की बेटी हैं। 

कनिमोई पहुंची लोकसभा, अगाथा संगमा भी जीतीं

इसी तरह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करूणानिधि की बेटी कनिमोई ने द्रमुक के टिकट पर थुतुकुड़ी सीट 3.47 लाख वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की है। इस कड़ी में अगला नाम अगाथा संगमा का आता है। तुरा सीट पर एनपीपी की अगाथा ने डा. मुकुल संगमा को शिकस्त दी। वह मेघालय के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत नेता पीए संगमा की बेटी हैं।

सपा के गढ़ में जीती संघमित्रा मौर्य

इसी तरह यूपी में बदायूं सीट पर भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने सपा नेता धर्मेंद्र यादव को हराकर पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता है। धर्मेंद्र यादव इस सीट से सांसद थे और यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती थी। वहीं केंद्रीय मंत्री अपना दल सोनेलाल की नेता अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से एक बार फिर लोकसभा पहुंचने में सफल रहीं। उन्होंने यहां से सपा के रामचरित्र निषाद को हराया। 

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