महज 20 दिन में बढ़ी ढाई गुना मृत्यु दर, जुलाई में पीक पर होगा कोरोना संक्रमण

By Team MyNation  |  First Published Jun 22, 2020, 9:27 AM IST

भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और देश में लॉकडाउन को खत्म होने के बाद देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या दो गुना हो गई है। वहीं इसके साथ ही मृत्युदर में इजाफा हुई है। एक जून को देश में 2 लाख लोग कोरोना संक्रमित थे लेकिन महज 22 दिन में यह संख्या सवा चार लाख तक पहुंच गई है। 

नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट जारी है और देश में कोरोना संक्रमण के मामले सवा चार लाख तक पहुंच गए हैं। वहीं देश में रोजाना दस हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और अब ये आंकड़ा पन्द्रह हजार के करीब पहुंचने वाला है। वहीं देश में मृत्यु दर ने चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि पिछले 20 दिन में देश में मृत्युदर में ढाई गुने  का इजाफा हुआ है और अब ये बढ़कर 10 फीसदी हो गई है जबकि एक जून को ये महज 4 फीसदी थी।


भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है और देश में लॉकडाउन को खत्म होने के बाद देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या दो गुना हो गई है। वहीं इसके साथ ही मृत्युदर में इजाफा हुई है। एक जून को देश में 2 लाख लोग कोरोना संक्रमित थे लेकिन महज 22 दिन में यह संख्या सवा चार लाख तक पहुंच गई है। जबकि एक और डरावनी तस्वीर सामने आ रही है। क्योंकि देश में महज 20 दिन में मृत्यु दर भी ढाई गुना बढ़ गई है। एक जून को मृत्यु दर 4 थी वहीं अब ये बढ़कर दस  हो गई है।  

भारत ने 2 जून को कोरोना के 2 लाख केस का आंकड़ा पूरा किया  था लेकिन 22 दिन में सवा चार लाख तक पहुंच गया। हालांकि अन्य देशों की तुलना  में भारत में कम है और दुनिया के मुकाबले और ज्यादा कम है।  दुनिया में कोरोना से मृत्यु दर औसत 60 है. यानी प्रति 10 लाख आबादी पर भारत में 10 और दुनिया में 60 लोग कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवा रहे हैं। वहीं दुनिया में जून की शुरुआत में मृत्यु दर 52 थी जबकि भारत में चार थी।

ज्यादातर पड़ोसी देशों में कम है मृत्य दर

भारत की तुलना में पड़ोसी देशों में मृत्यु दर कम है।  चीन, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका में भारत की तुलना में मृत्यु दर कम है।  जहां चीन में मृत्यु दर  3 है वहीं बांग्लादेश में 9 है।  हालांकि अफगानिस्तान में 15 और पाकिस्तान में 16  मृत्यु दर है।  जबकि नेपाल और श्रीलंका में ये एक फीसदी से भी कम है जबकि भूटान में ये शून्य है।
 

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