बड़े खतरे के मुहाने पर खड़ा है दिल्ली-एनसीआर, जानें में डेढ़ महीने कितनी बार आए भूकंप के झटके

By Team MyNation  |  First Published Jun 4, 2020, 3:03 PM IST


विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली और एनसीआर पर भूकंप का खतरा है और इसकी पुष्टि इस तथ्य होती है कि पिछले 45  दिनों के भीतर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी  एनसीआर में 11 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। भूकंप के झटकों के कारण लोगों को भय है। हालांकि ये झटके कम तीव्रता हैं। लेकिन इनका लगातर आना किसी बड़ी घटना का संकेत हो सकता है। 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली खतरे के मुहाने पर खड़ी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। पिछले 45 दिनों में दिल्ली और एनसीआई में भूकंप के  11 बार झटके आ चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है  एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत हैं। उनका कहना है कि धरती के अंदर प्लेटों के एक्टिव होने से ऊर्जा निकल रही है और इसके कारण भूकंप के झटके आ रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली और एनसीआर पर भूकंप का खतरा है और इसकी पुष्टि इस तथ्य होती है कि पिछले 45  दिनों के भीतर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी  एनसीआर में 11 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। भूकंप के झटकों के कारण लोगों को भय है। हालांकि ये झटके कम तीव्रता हैं। लेकिन इनका लगातर आना किसी बड़ी घटना का संकेत हो सकता है। बुधवार को जो भूकंप के झटके आए थे, राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसाररिक्टर पैमाने पर उनकी तीव्रता  3.2 थी। 

विशेषज्ञों दावा है कि आने वाले समय के लिए ये खतरे के संकेत हैं। उनका कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में 12, 13 और 16 अप्रैल, 6, 10, 15 मई और 28 मई को दिल्ली-फरीदाबाद और एनसीआर में झटके लग चुके हैं और वहीं 29 मई को दो बार झटके लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 45 दिनों के दौरान राजस्थान में एक बार, उत्तराखंड में चार बार और हिमाचल प्रदेश में छह बार भूकंप के झटके लग चुके हैं और इसकी  रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.2 से लेकर 4.5 थी।  

उनका कहना है कि अगर इससे ज्यादा तीव्रता होती तो इससे नुकसान हो सकता था। उनका कहा है कि दिल्ली-एनसीआर जोन 4 और ये दूसरे नंबर का जोन है। लिहाजा ये भूकंप के खतरे वाले क्षेत्र है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भूकंप की तीव्रता 5 से 5.9 के बीच में रहती है तो फर्नीचर हिल सकता है और वहीं 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर रहने के बाद ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। वहीं तीव्रता 8 से 8.9 के रहने से इमारतों और पुल गिर सकते हैं।

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