हार के बावजूद सीएम बंगले का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं भाजपा के 'दास'

By Harish Tiwari  |  First Published Feb 10, 2020, 10:05 AM IST

राज्य में दो महीने पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में कांग्रेस और राजद की सरकार बन चुकी है। जबकि हेमंत सोरेन राज्य के सीएम के तौर पर शपथ लेने के बाद कैबिनेट का विस्तार कर चुके हैं। लेकिन राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास का अपने सरकारी बंगले से मोह नहीं छूट रहा है। लिहाजा उन्होंने राज्य सरकार से सरकारी बंगला आवंटित करने को कहा है। 

रांची। झारखंड में चुनाव परिणाम आए दो महीनों से ज्यादा हो गया है और राज्य में हेमंत सोरेन सरकार का गठन हो चुका है। लेकिन राज्य के पूर्व सीएम रघुबर दास ने अभी तक  सरकारी बंगाल नहीं छोड़ा है। वहीं अब दास ने राज्य सरकार से सरकारी बंगले की मांग की है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक  पद से हटने के बाद पूर्व सीएम और मंत्रियों के सरकारी सुविधाओं को रोक दिया गया है। हालांकि अब दास विधायक भी नहीं है।

राज्य में दो महीने पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में कांग्रेस और राजद की सरकार बन चुकी है। जबकि हेमंत सोरेन राज्य के सीएम के तौर पर शपथ लेने के बाद कैबिनेट का विस्तार कर चुके हैं। लेकिन राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास का अपने सरकारी बंगले से मोह नहीं छूट रहा है। लिहाजा उन्होंने राज्य सरकार से सरकारी बंगला आवंटित करने को कहा है। राज्य के नए सीएम हेमंत सोरेन ने अभी तक मुख्यमंत्री के लिए आवंटित सरकारी बंगले में प्रवेश नहीं किया है।

क्योंकि इस बंगले में अभी भी रघुवर दास कब्जा किए हुए हैं। हालांकि विधानसभा सचिवालय ने दो बार दास को नोटिस दिया है। लेकिन उसके बावजूद उन्होंने बंगला खाली नहीं किया है। रघुवर दास इस बार विधायक का चुनाव भी हार गए हैं। पिछले साल राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ाथा। फिलहाल मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद दास ने भवन निर्माण विभाग को एक सरकारी क्वार्टर आवंटित करने के लिए लिखा है।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री को किसी भी तरह की सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। जिसके कारण कई प्रदेशों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने निजी आवासों में ही रहना पड़ रहा है। उधर दास के बंगला खाली न करने पर उनके पूर्व कैबिनेट सहयोगी सरयू रॉय ने तंज कसा है। उन्होंने ट्विट किया है कि दास को उनके घरेलू मैदान पर हराया है और कोई भी निर्णय लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

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