विपक्ष प्रज्ञा ठाकुर को घेर रहा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पहले ही खारिज कर चुकी है ‘हिंदू आतंकवाद’ की थ्योरी

साल 2013 में तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा था कि समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और मालेगांव में हुए बम धमाकों में आरएसएस और भाजपा का हाथ था, जबकि  UNSC की 2009 की रिपोर्ट में ही कर दिया गया था लश्कर की ओर इशारा।

Election 2019: UNSC debunks 'Hindu terror', but Opposition cries foul over Pragya Singh Thakur's poll pitch

भारत में लोकसभा चुनावों के घमासान के बीच भाजपा ने मध्य प्रदेश के भोपाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतार दिया है। इसके बाद साल 2014 के आम चुनावों की तरह इस बार भी विपक्षी दलों ने ‘भगवा आतंकवाद’ के मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है। 

साल 2013 में तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा था कि समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और मालेगांव में हुए बम धमाकों में आरएसएस और भाजपा का हाथ था। लेकिन इस बार इन्हीं दावों को लेकर कांग्रेस भाजपा के सियासी जाल में फंस गई है। 

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत विपक्ष के इस मामले को उठाते समय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की उस रिपोर्ट की अनदेखी कर रहे हैं, जिनमें इन धमाकों के बारे में अहम जानकारी दी गई है। सुरक्षा परिषद की साल 2009 की रिपोर्ट में कहा गया था कि समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके में लश्कर-ए-तय्यबा के आरिफ कासमानी का हाथ था। इस धमाके की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। 

किसी व्यक्ति, संगठन अथवा अन्य इकाई को अल-कायदा की प्रतिबंध सूची में शामिल करने के कारणों का संक्षिप्त ब्यौरा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची द्वारा साल 2018 में जारी किया गया। मूल रूप से इसे 29 जून, 2009 को सूचीबद्ध किया गया था। इसमें बताया गया था कि कासमानी पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहे हैं। यह प्रस्ताव 2161 (2014) के पैराग्राफ 36 में दिया गया है। 

कासमानी को अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन अथवा तालिबान से जुड़ाव के चलते इस सूची में डाला गया। उस पर इन संगठनों और उनके नेताओं को वित्तीय मदद मुहैया कराने, साजिश रचने, दूसरी सुविधाएं देने, अन्य गतिविधियों में मदद करने के आरोप थे। 

‘अतिरिक्त सूचना’ वाले उपशीर्षक के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा हैः

आरिफ कासमानी लश्कर-ए-तय्यबा यानी एलईटी (QDe.118)  का चीफ को-आर्डिनेटर था। वह दूसरे संगठनों के साथ काम करता था। इसके साथ ही वह लश्कर के आतंकी वारदातों के लिए अहम सपोर्ट उपलब्ध कराता था। कासमानी ने लश्कर को कई हमलों को अंजाम देने में मदद की। इनमें जुलाई 2006 में मुंबई में हुए ट्रेन धमाके और फरवरी 2007 में पानीपत में समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दाऊद इब्राहीम का भी जिक्र किया। ‘कासमानी ने उस पैसे का इस्तेमाल किया उसे दाऊद इब्राहीम कासकर (QDi.135) से मिला था। वह भारत का एक कुख्यात अपराधी और आतंकवाद समर्थक है। कासमानी ने साल 2005 में लश्कर-ए-तय्यबा के लिए कई धन उगाही की गतिविधियां चलाई थीं।’

अल-कायदा ने उसने भारत में आतंकवाद को फैलाने में मदद की। कासमानी ने अल-कायदा को धन और हथियारों की आपूर्ति में मदद की। उसने अफगानिस्तान से अल-कायदा के कमांडरों के आने जाने की गतिविधियों का भी प्रबंध किया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट कहती है, ‘कासमानी की मदद के बदले में अल-कायदा ने जुलाई 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों और पानीपत में फरवरी 2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाके में सहायता पहुंचाई।’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘कासमानी ने 2001 अल-कायदा से जुड़े लोगों की आवाजाही की व्यवस्था की। साल 2005 में आरिफ कासमानी ने तालिबान अफगानिस्तान के लिए को लड़ाके, उपकरण और हथियार मुहैया कराए।’
 

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