सोशल मीडिया से हटेगा एक्जिट पोल: चुनाव आयोग ने दिया आदेश

चुनाव आयोग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर एक्जिट पोल डालना आदर्श चुनाव आचार संहिता के दायरे में आता है। इसलिए इस तरह के सभी एक्जिट पोल हटाए जाएं। 
 

Election commission asks social media platforms to take down exit poll and related posts

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव को लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह के एक्जिट पोल डाले गए हैं। जिस पर चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। आयोग ने ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तुरंत सभी तरह के एक्जिट पोल को हटाने का आदेश दिया है। 

आयोग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर एक्जिट पोल डालना आचार संहिता के दायरे में आता है। चुनाव आयोग के पास इस बारे में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसमें कहा गया था कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह के एक्जिट पोल, जो चुनाव को प्रभावित कर सकते हो, या जिनमें किसी पार्टी के हारने या जिताने के आंकड़े पेश किए जाते हो उन पर रोक लगाई जाती है। चुनाव से ठीक पहले एक्जिट पोल, आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आता है।

 इससे पहले चुनाव आयोग ने मीडिया आउटलेट को लोकसभा चुनावों के नतीजों के बारे में अनुमान जताने वाले सर्वेक्षण जारी करने पर कारण बताओ का नोटिस जारी किया था। दरअसल एग्जिट पोल सभी चरणों की वोटिंग खत्म होने के बाद ही जारी किए जाते हैं। इस दौरान हर चरण की वोटिंग से संबंधित डाटा इकठ्ठा किया जाता है। वोटिंग के दिन जब मतदाता वोट डालकर निकल रहा होता है, तब उससे पूछा जाता है कि उसने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं। इसे ही एग्जिट पोल कहते है। 

आमतौर पर टीवी चैनल वोटिंग के आखिरी दिन एग्जिट पोल दिखाते हैं। एग्जिट पोल की शुरूआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी। 

पहली बार एग्जिट पोल 15 फरवरी 1967 में अस्तित्व में आया था। नीदरलैंड में हुए चुनाव में यह एग्जिट पोल काफी ज्यादा सटीक था। वही भारत मे इसकी शुरुआत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक दी कोस्टा ने की थी।
 

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