वाराणसी सीट पर गठबंधन दुविधा में है। दो दिन पहले ही गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे में एसपी के खाते में आयी वाराणसी सीट पर पार्टी ने तेजबहादुर यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था। जबकि पिछले हफ्ते ही कांग्रेस को छोड़कर पार्टी में आयी शालिनी यादव को भी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन अब एसपी उलझन में है। क्योंकि तेज बहादुर को पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी तो घोषित कर दिया है।
वाराणसी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को मतदान से पहले ही बड़ा झटका लग सकता है। पार्टी ने यहां पर बीएसएफ से बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन अब उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं। क्योंकि तेज बहादुर ने अभी तक चुनाव लड़ने के लिए बीएसएफ से एनओसी नहीं ली है। जिसके कारण उनका नामांकन रद्द हो सकता है।
वाराणसी सीट पर गठबंधन दुविधा में है। दो दिन पहले ही गठबंधन के तहत सीटों के बंटवारे में एसपी के खाते में आयी वाराणसी सीट पर पार्टी ने तेजबहादुर यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था। जबकि पिछले हफ्ते ही कांग्रेस को छोड़कर पार्टी में आयी शालिनी यादव को भी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया था। लेकिन अब एसपी उलझन में है। क्योंकि तेज बहादुर को पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी तो घोषित कर दिया है। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए बीएसएफ से कोई एनओसी नहीं ली है।
जिसके कारण उनके ऊपर पर्चा खारिज होने की तलवार लटक गयी है। वाराणसी से पीएम मोदी बीजेपी के प्रत्याशी हैं तो कांग्रेस ने अजय राय को मैदान में उतारा है। जबकि एसपी की तरफ से तेजबहादुर या शालिनी इस पर फैसला पूरी तरह से आज हो जाएगा। असल में जिला निर्वाचन कार्यालय ने तेज बहादुर यादव से चुनाव आयोग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लाकर जमा करने का निर्देश दिया है। उन्हें आज सुबह 11 बजे तक इसे कार्यालय में जमा करना है।
अगर वह इसे जमा नहीं करते हैं तो इस स्थिति में उनका नामांकन निरस्त किया जा सकता है। उधर एसपी नेता इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं। उनका कहना है कि बीजेपी के इशारे पर बीएसएफ में भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्तगी को लेकर अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा गया है। गौरतलब है कि शालिनी यादव ने अपना नामांकन एसपी प्रत्याशी के तौर पर किया है। अगर तेज बहादुर का पर्चा खारिज होता है तो पार्टी शालिनी पर दांव खेल सकती है।