चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, कल्याण सिंह की बढ़ी मुश्किलें

By Team MyNation  |  First Published Apr 2, 2019, 4:19 PM IST

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। आचार संहिता उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। अब राष्ट्रपति ही इस मामले में कोई फैसला करेंगे। कल्याण सिंह ने अपने गृह जनपद में नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बयान दिया था। जबकि वह संवैधानिक पद पर नियुक्त हैं।

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। आचार संहिता उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। अब राष्ट्रपति ही इस मामले में कोई फैसला करेंगे। कल्याण सिंह ने अपने गृह जनपद में नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बयान दिया था। जबकि वह संवैधानिक पद पर नियुक्त हैं।

कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल के पद पर नियुक्त कल्याण सिंह ने अलीगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन किया था। जिसे सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है। यही नहीं कल्याण सिहं राज्यपाल हैं और यह संवैधानिक पद है और इस पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति किसी राजनैतिक पार्टी के पक्ष में बयान नहीं दे सकता है। लिहाजा कल्याण सिंह के नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बयान देने के बाद अब चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

चुनाव आयोग ने जो राष्ट्रपति को पत्र लिखा है उसमें आचार संहिता उल्लंघन के बारे में विस्तार से बताया गया है। यही नहीं चुनाव आयोग ने कल्याण सिंह पर आगे कि कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी है। गौरतलब है कि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने अलीगढ़ में 25 मार्च को सभी देशवासियों को भाजपा का कार्यकर्ता बताया था। उन्होंने कहा था कि हम सभी भाजपा कार्यकर्ता हैं और सभी चाहते हैं कि भाजपा चुनाव जीते। कल्याण सिंह ने कहा था कि हम चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनें ये देश के लिए बहुत जरूरी है।

कल्याण सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे और पहली बार 24 जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। वह 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अतरौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुए और फिर 1997 से नवंबर 1999 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि बाद में कल्याण सिंह ने भाजपा को छोड़कर खुद की पार्टी बनाई लेकिन बाद में उन्होंने इस पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया। 

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