बैंक के 1129 करोड़ की धोखाधड़ी में पूर्व बाहुबली मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे के ठिकानों पर ईडी का छापा

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Feb 23, 2024, 11:58 AM IST

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की मुश्किलें बढ़ गई है। बैंक आफ इंडिया से संबंध बैंकों से 1129 करोड रुपए के मामले की गड़बड़ी को लेकर की गई शिकायत में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने उनके गोरखपुर के धर्मशाला बाजार स्थित आवास समेत विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।

गोरखपुर। पूर्वांचल के पूर्व बाहुबली मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे एवं सपा नेता विनय शंकर तिवारी के धर्मशाला बाजार स्थित घर पर 23 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। प्रवर्तन निदेशालय की टीमों ने लखनऊ और गोरखपुर के अलावा हरियाणा में भी विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर पहुंचकर छानबीन शुरू कर दी है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से लोकल पुलिस फोर्स को घर के बाहर तैनात किया गया है।गोरखपुर में जटाशंकर तिवारी के हाता का मुख्य दरवाजा बंद है। फार्मों के माध्यम से करीब 1100 करोड रुपए के बैंक घोटाले के प्रकरण में यह कार्रवाई चल रही है।
 

भोर में पांच बजे पहुंच गई ईडी की टीम 
23 फरवरी को भोर में पांच बजे लखनऊ में 6 गाड़ियों से 12 -13 के करीब प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की टीम पहुंची और छानबीन शुरू कर दी। सपा नेता विनय शंकर तिवारी की कंपनी कंदर्प कंस्ट्रक्शन के अलावा गंगोत्री इंटरप्राइजेज, जीएसपी एंटरप्राइजेज समेत अन्य कंपनियों में वित्तीय अनियमित की शिकायत प्रवर्तन निदेशालय को मिली थी। उसी की जांच की जा रही है। पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे एवं पूर्व विधायक विजय शंकर तिवारी उनके भाई एवं पूर्व सांसद कुशल शंकर तिवारी परिवार के साथ इस मकान में रहते हैं। यहां पर सीआरपीएफ की टीमें तैनात हैं। 

पहले ही जब्त की जा चुकी हैं तिवारी परिवार की 72 करोड़ की संपत्तियां
विनय शंकर तिवारी की कंपनी के कंदर्प कंस्ट्रक्शन, जीएसपी एंटरप्राइजेज और गंगोत्री एंटरप्राइजेज समेत अन्य कंपनियों में वित्तीय निमित की जांच ईडी कर रही है। पूर्व मंत्री के पूर्व विधायक बेटे विनय शंकर तिवारी पर प्रदर्शन प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्री का केस दर्ज किया है। नवंबर 2023 में ईडी  ने गोरखपुर, लखनऊ और महाराजगंज में तिवारी का हाता परिवार की 72 करोड़ की 27 संपत्ति भी जप्त की थी।
 

पूर्व सपा विधायक की कंपनियों पर है 1129 करोड़ के गड़बड़ी का आरोप
शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि मैसेज गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटर्स निदेशकों, गारंटरों के साथ मिलकर बैंक आफ इंडिया के नेतृत्व वाले साथ बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड रुपए की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था। बाद में इस रकम को उन्होंने अन्य कंपनियों में डाइवर्ट कर दिया और बैंकों की रकम को वापस नहीं किया। इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड रुपए का नुकसान हुआ। ईडी इसी मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में विनय शंकर तिवारी के साथ उनकी पत्नी रीता तिवारी और कंपनी के एक अन्य निदेशक अजीत पांडेय पर भी एफआईआर दर्ज की है। ये एफआईआर 19 अक्टूबर 2020 को बैंक आफ इंडिया की शिकायत पर लिखी गई थी। बैंक ने कंपनी को दिए गए 754 करोड रुपए के लोन में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
 

छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज ईडी ने लिया कब्जे में
छापेमारी के दौरान ईडी की टीमों ने लखनऊ के महानगर स्थित विनय शंकर तिवारी की ऑफिस और नोएडा स्थित कंपनी के ठिकानों से कई दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। टीम ने मौके पर मौजूद लोगों से पूछताछ की। टीम ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज के अन्य निदेशक अजीत पांडे और एक सहयोगी फॉर्म रॉयल अंपायर मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के ठिकानों पर भी छापेमारी की है। गंगोत्री इंटरप्राइजेज कंस्ट्रक्शन कंपनी के रूप में जानी जाती है और प्रदेश में बड़े-बड़े निर्माण कार्यों का ठेका लेती है।

आखिर क्या है ईडी, कैसे करती है कार्य?
प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ed) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में आने वाली संस्था है। यह संस्था वित्तीय रूप से किए गए गैरकानूनी कामों जैसे मनी लॉड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन की छानबीन करती है। विदेश में कर चोरी करके भेजे गए पैसे, वहा बनाई गई सम्पत्ति इसके काम के दायरे में आते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली में है और देश के अलग-अलग शहरों में इसके जोनल ऑफिस हैं। ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों के खिलाफ जब्ती और गिरफ्तारी के अधिकार होता है। एक जांच अधिकारी के सामने भी दिया गया बयान कोर्ट में सबूत माना जाता है। ईडी की गिरफ्तारी में जमानत मिलना मुश्किल होता है।  पीएमएलए मामलों में ईडी तीन साल तक आरोपी की जमानत रोक सकती है। 
 

चुनाव के समय विपक्ष खूब लगता है ई डी के दुरुपयोग का आरोप
ईडी देश के बाहर चल रही मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में भी को-ऑपरेट करती है, क्योंकि ईडी को आर्थिक अपराधों के लिए राजनेताओं या सरकारी अधिकारियों को तलब करने की खातिर सरकार की हरी झंडी की जरूरत नहीं पड़ती है, इसीलिए इसके एक्‍शन की टाइमिंग पर खूब सवाल उठते हैं। विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि ईडी को महत्‍वपूर्ण चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

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