सीएए को लेकर नरम पड़ा यूरोपीय यूनियन, फ्रांस ने दिया भारत का साथ बोला आंतरिक मामला

असल में यूरोपीय संघ ने सीएए पर मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। कुछ सांसदों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मामला बताते हुए इस पर बहस करने का प्र्सताव तैयार किया था। लेकिन फ्रांस ने संघ को बड़ा झटका दिया है और भारत की कड़ी आपत्ति पर फ्रांस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भारत का आंतरिक मामला है।

European Union softens on CAA, France supports internal matter with India

नई दिल्ली। नागरिकता संसोधन कानून को लेकर यूरोपीय संघ नरम पड़ गया है। क्योंकि यूरोपीय संघ के संस्थापक फ्रांस ने साफ कर दिया है कि नागरिकता संसोधन कानून भारत का आंतरिक मामला है। लिहाजा इसमें दखल नहीं देना चाहिए। हालांकि कल ही भारत ने साफ कर दिया था कि सीएए भारत आंतरिक मामला है और इसमें तीसरे पक्ष का दखल बर्दाश्त  नहीं किया जाएगा।

असल में यूरोपीय संघ ने सीएए पर मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। कुछ सांसदों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मामला बताते हुए इस पर बहस करने का प्र्सताव तैयार किया था। लेकिन फ्रांस ने संघ को बड़ा झटका दिया है और भारत की कड़ी आपत्ति पर फ्रांस ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भारत का आंतरिक मामला है। हालांकि कश्मीर के  मामले में भी फ्रांस ने खुलकर भारत का साथ दिया था।

फ्रांस ने साफ कर दिया है कि ये मामला भारत का आंतरिक मामला है और ऐसा फ्रांस कई बार कह चुका है। फ्रांस यूरोपीय संघ का संस्थापक सदस्य देश है और उसका बयान भारत के लिए काफी अहम है। फ्रांस ने कहा कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले इसका मूल्यांकन करना जरूरी है। क्योंकि ये कानून भारत की संसद में पारित हुआ है और इसमें किसी भी तरह का दखल नहीं दिया जा सकता है।

देशभर में नागरिकता संसोधन कानून को लेकर यूरोपियन यूनियन में कुछ सांसदों ने इस पर प्रस्ताव तैयार करने की बात कही थी। ये सांसद इस पर चर्चा करना चाहते थे। लेकिन भारत ने इस कड़ी आपत्ति जताई । हालांकि अभी तक अमेरिका और फ्रांस जैसे बड़े देश इसे भारत का आंतरिक मामला बता चुके हैं। जबकि पाकिस्तान दुनियाभर में भारत के खिलाफ अभियान चला रहा है लेकिन मलयेशिया और तुर्की के अलावा उसे किसी का साथ नहीं मिला है।

गौरतलब है कि भारत में नागरिकता कानून को लेकर विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं जबकि भारत सरकार साफ कर चुकी हैं कि इस कानून के तहत किसी की नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।

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