असल में पाकिस्तान आर्थिक सहायता के तौर पर पहले से मुसीबत में घिरा हुआ है। आस्ट्रेलिया ने पहले ही पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देना बंद कर दिया है। जबकि जापान फ्रांस समेत कई यूरोपीय देश पाकिस्तान को पहले ही आतंकी शिविरों को बंद करने के लिए अल्टीमेटम दे चुके हैं। हालांकि अमेरिका ने पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया हुआ है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अगले साल फरवरी में पाकिस्तान को एफएटीएफ फरवरी में ब्लैकलिस्ट कर सकता है। लेकिन अमेरिका के पूर्व सैन्य कर्मियों ने कश्मीरी समुदाय और भारतीय अमेरिकियों ने अब अमेरिका सरकार पर दबाव बना दिया है।
सल में पाकिस्तान आर्थिक सहायता के तौर पर पहले से मुसीबत में घिरा हुआ है। आस्ट्रेलिया ने पहले ही पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देना बंद कर दिया है। जबकि जापान फ्रांस समेत कई यूरोपीय देश पाकिस्तान को पहले ही आतंकी शिविरों को बंद करने के लिए अल्टीमेटम दे चुके हैं। हालांकि अमेरिका ने पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया हुआ है। अमेरिका राष्ट्रपति स्वयं कह चुके हैं कि अगर पाकिस्तान ने आतंकी शिविरों को बंद नहीं किया ता उसे दी जाने वाली आर्थिक मदद पूरी तरह से रोक दी जाएगी।
लेकिन अब अमेरिका में पाकिस्तान के खिलाफ तेजी से माहौल बन रहा है। जिसके कारण आने वाले दिनों में पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ आर्थिक तौर पर और ज्याद कड़ी कार्यवाही कर सकता है। लंदन में हुए प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान तालिबान का समर्थन करके अमेरिकी बेटों और बेटियों को मार रहा है। यही नहीं पाकिस्तान 25000 से ज्यादा कश्मीरी हिंदुओं की हत्या कर चुका है।
गौरतलब है कि अक्टूबर में पाकिस्तान को एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट कर सकता था। लेकिन उसे चीन, मलेशिया और तुर्की ने बचा लिया। लेकिन इस बार वह फरवरी में नहीं बच सकता है। क्योंकि एफएटीएफ पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों से खुश नहीं हैं। हालांकि अभी तक पाकिस्तान पूरे दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। लेकिन चीन की सरपरस्ती के कारण वह बच रहा है। वहीं उसके दोस्त तुर्की और मलेशिया भी उसे आर्थिक तौर पर मदद दे रहे हैं। जिसे पाकिस्तान देश के विकास के बजाए आतंकी शिविरों पर खर्च कर रहा है।