राफेल फाइटर जेट के चार विमानों का पहला बैच अंबाला स्थित वायुसेना बेस पर तैनात किया जाएगा। चार विमानों का पहला बैच मई 2020 में भारत पहुंचेगा। यहां इन विमानों को रखने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जा चुका है।'
फ्रांस के साथ राफेल विमान सौदे से जुड़े विवाद का सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाक्षेप कर दिए जाने के बाद इन फाइटर जेट का भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। मई 2020 में पहले चार राफेल विमान वायुसेना में शामिल हो जाएंगे। उन्हें अंबाला एयरफोर्स बेस पर तैनात किया जाएगा।
हालांकि पहला राफेल विमान निर्धारित समय के अनुसार वायुसेना को सितंबर 2019 में फ्रांस के एयरबेस में सौंप दिया जाएगा। वायुसेना के वरिष्ठ सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया, 'भले ही पहला राफेल विमान हमें सितंबर 2019 में सौंप दिया जाएगा लेकिन यह वायुसेना में शामिल किया जाने वाला अंतिम विमान होगा, क्योंकि इस विमान को 1500 घंटे के उड़ान परीक्षण के लिए फ्रांस में ही रखा जाएगा।'
सूत्रों ने कहा, 'भारतीय सरजमीं पर राफेल मई 2020 में वायुसेना से जुड़ेंगे। राफेल फाइटर जेट के चार विमानों का पहला बैच अंबाला स्थित वायुसेना के ठिकाने पर पहुंचेगा। यहां इन विमानों को रखने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जा चुका है।'
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यही नहीं सितंबर 2019 में जो राफेल विमान भारत को मिलेगा, उसका 1500 उड़ान घंटों का परीक्षण होगा। भारत इसकी उड़ान संबंधी खूबियों को परखेगा क्योंकि विमान में भारतीय वायुसेना की जरूरतों के अनुसार कुछ बदलाव किए गए हैं। सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ हुए 36 राफेल विमानों के सौदे के तहत भारत 30000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।
कांग्रेस का आरोप था कि फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद का जो सौदा हुआ है उसमें भ्रष्टाचार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्योगपति मित्र अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कांट्रैक्ट दिलाकर 30000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया है।
कांग्रेस के इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर कुछ नेता और वकील इस सौदे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इनमें वकील प्रशांत भूषण, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी शामिल हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि इस सौदे की प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं हुआ है। इसमें हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है।
राफेल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 के आम चुनावों के लिए अपने अभियान में इसमें बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में थे। वह इस बहाने से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी यह हसरत धरी की धरी रह गई है।