पंजाब में सड़कों में सब्जी फेंकने को मजबूर है अन्नदाता

कोरोना के कहर के बीच सब्जियों की खपत कम हो गई है। कोरोना लॉकडाउन के कारण ढाबे, होटल,हास्टल और भोजनालयों बंद हैं। जिसके कारण बाजार में सब्जियों की मांग काफ कम हो गई है। जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है।

farmer is forced to throw vegetables in roads in Punjab

चंडीगढ़। कोरोना के संकट के बीच देशभर का अन्नदाता परेशान है। खेतों में फसल है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं है।  मंडियों में खरीदार ने होने के कारण किसान सड़कों में सब्जियों को बेचने को मजबूर हैं। पंजाब में किसान मंडियों में शिमला मिर्च दो से तीन रुपये प्रति किलोग्राम बेच रहे हैं। लेकिन इससे मंडियों में सब्जियों को ले जाने का भाड़ा ही नहीं निकल रहा है। लिहाजा किसान सड़कों पर ही सब्जियों को फेंक रहे हैं। ताकि मंडी जाने का खर्च बचे।

farmer is forced to throw vegetables in roads in Punjab
कोरोना के कहर के बीच सब्जियों की खपत कम हो गई है। कोरोना लॉकडाउन के कारण ढाबे, होटल,हास्टल और भोजनालयों बंद हैं। जिसके कारण बाजार में सब्जियों की मांग काफ कम हो गई है। जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है। मनसा में किसानों ने अपनी शिमला मिर्च की पैदावार को सड़क पर फेंक दिया किसानों का कहना है कि मार्च के पहले सप्ताह में उन्हें शिमला मिर्च की कीमत लगभग 30 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही थी वहीं अप्रैल में ये घटकर 15 प्रति किलोग्राम हो गई थी लेकिन अब तो बाजार में कोई शिमला मिर्च को नहीं पूछ रहा है और इसकी कीमत  2-3 रुपये किलो पहुंच गई है।

जबकि उपभोक्ता एक किलोग्राम के लिए  30 रुपये खर्च कर रहा है। यही हाल तरबूज और खरबूज का है। बाजार में खरीदार गायब हो गए हैं और मंडियों का हाल ये है कि ये एक तरह से सूनी पड़ गई हैं। पंजाब के जालंधर और कपूरथला में तरबूज और खरबूज उगाए जाते हैं और यहां से जम्मू-कश्मीर, यूपी और राजस्थान भेजे जाते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण ट्रक नहीं चल रहे है। जिसके कारण अन्य राज्यों  में तरबूज और खरबूज नहीं पहुंच पा रहे हैं और किसान इन्हें फेंकने को मजबूर है।

फिरोजपुर के किसान गोरा सिंह भैनीबाग  कहते हैं उन्होंने अपनी फसल का एक हिस्सा नष्ट कर दिया क्योंकि शिमला मिर्च की कीमत 3 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही थी और मंडियों में ट्रासपोर्टेशन का खर्चा इससे ज्यादा था। पिछले साल उन्होंने सभी खर्चों को छोड़कर 3 लाख रुपये प्रति एकड़ कमाया। लेकिन इस साल खर्चे भी पूरे नहीं हो रहे हैं।
 

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