मुस्लिम कट्टरपंथियों के लिए जायरा एक पोस्टर गर्ल बनने जा रही है। जिस तरह से उसे दंगल गर्ल कहा जाता था, वहीं उसे मुस्लिम कट्टरपंथी धर्म के नाम पर पोस्टर गर्ल बनाने की जुगत में हैं। जायरा ने फिल्म उद्योग में नाम तो कमाया, लेकिन पिछले दो दिन में जो नाम उनसे धर्म के नाम पर हासिल कर लिया है। निसंदेश वह आने वाले दिनों मुस्लिम धर्म की राजनीति में दस्तक जरूर देगी
दंगल से अपने फिल्मी कैरियर को शुरूआत करने वाली जायरा वसीम अब मुस्लिम कट्टरपंथियों की पोस्टर गर्ल बनने जा रही है। जायरा को लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों और नरमपंथियों के बीच में दंगल शुरू हो गया है। नरमपंथी जहां इसे कट्टरपंथियों के दबाव में लिया गया फैसला कह रहे हैं, वहीं कट्टरपंथी जायरा के इस फैसले को सही कदम बता रहे हैं। भले ही वह राजनैतिक हों या फिर धार्मिक। लेकिन इस मामले में अभी तक छोटे छोटे मसलों पर असहिष्णुता की बात करने वाले फिल्म उद्योग के वरिष्ठ कलाकार खासतौर से मुस्लिम कलाकारों की चुप्पी बी कई सवाल उठा रही है।
यहीं नहीं राजनैतिक दलों के मुस्लिम नेता जायरा के फैसले की सही बता रहे हैं। यहां तक कि कुछ दिन पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर कश्मीर घाटी की राजनीति में कदम रखने वाले फैसल भी जायरा के कदम को सही ठहरा रहे हैं। लेकिन सच्चाई ये भी है कि जायरा का फिल्म दुनिया से रिश्ता खत्म करना हिंदी फिल्म उद्योग के उन मजहबियों के लिए भी एक सबक है जो जिन्हें दूसरे धर्म के प्रति नफरत दिखती है।
पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती उसके फैसले को लेकर सहमत है तो नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया भी जायरा के फैसले का सम्मान कर रहे हैं। ये वो वर्ग है जो पढ़ा लिखा है और दूसरे धर्मों के लोगों पर खुलकर आपेक्ष लगाता है और विरोध करता है। मुस्लिम कट्टरपंथियों के लिए जायरा एक पोस्टर गर्ल बनने जा रही है। जिस तरह से उसे दंगल गर्ल कहा जाता था, वहीं उसे मुस्लिम कट्टरपंथी धर्म के नाम पर पोस्टर गर्ल बनाने की जुगत में हैं।
जायरा ने फिल्म उद्योग में नाम तो कमाया, लेकिन पिछले दो दिन में जो नाम उनसे धर्म के नाम पर हासिल कर लिया है। निसंदेश वह आने वाले दिनों मुस्लिम धर्म की राजनीति में दस्तक जरूर देगी। इसके जरिए कट्टरपंथी ये संदेश मुस्लिम लड़कियों के देंगे कि एक लड़की ने धर्म के खातिर अपनी शानौ शौकत भरी दुनिया छोड़ दी। एक तरह जहां मुस्लिम कट्टरपंथी पश्चिम बंगाल की टीएमसी की सांसद नुसरत का सिंदूर लगाने और साड़ी पहनने के लिए विरोध कर रहे हैं।
वहीं जायरा उनके लिए अब आदर्श बनने जा रही है। आम तौर पर मुस्लिम चरमपंथी इस तरह के लोगों को जनता का आदर्श बनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। कुछ समय पहले जब जायरा ने एक एयरलाइंस पर यात्रा के दौरान छेड़छाड़ का आरोप लगाया था तो उस वक्त उन्होंने एक धर्म विशेष की बात कही थी। यानी ये इस बात से भी समझा जा सकता है कि गैर धर्मों के प्रति जायरा के मन में क्या था। लिहाजा वह कट्टरपंथियों के लिए एक आदर्श के तौर पर उभर रही है। जिसके जरिए वह अपनी धर्म की दुकान आसानी से चला सकते हैं।
रविवार से अभी तक जितने भी मौलवियों और मुस्लिम धर्म गुरुओं के बयान आ रहे हैं। उससे साफ पता चलता है कि वो सभी जायरा के इस फैसले से खुश हैं। भले ही जायरा किसी दबाव में खुश दिखा रही हो। लेकिन फिल्म उद्योग में काम करने वाले मुस्लिमों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। असर छोटे छोटे मामलों में असहिष्णुता की बात करने वाले नसीरउद्दीन शाह या फिर शबाना आजमी या फिर जावेद अख्तर। इन वरिष्ठ कलाकारों को जायरा का फैसला शायद जाएज लगता है। लिहाजा उन्होंने इस बारे में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
कौन है जायरा वसीम
आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ में गीता फोगाट के बचपन का रोल करने वाली जायरा वसीम ने महज 14 साल की उम्र में बॉलीवुड में कदम रखा और महज पांच साल फिल्मी दुनिया में रहने के बाद शनिवार को अलविदा कह दिया है। जायरा ने सोशल मीडिया में अपना संदेश देते हुए कहा कि वह अल्लाह के रास्ते से भटक गयी थी।
जायरा ने महज 18 साल की उम्र में जो मुकाम हासिल किया है। वह फिल्म इंड्रस्टी में कम हो लोगों को मिल पाता है। जायरा वसीम ने बॉलीवुड छोड़ने की वजह इस्लाम के प्रति अपने झुकाव को बताया है। जायरा को 'दंगल' के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।
कट्टरपंथियों के निशाने पर भी थी जायरा
आज जायरा ने जो फैसला लिया है, उसकी पृष्ठभूमि तो काफी पहले से लिखी गयी थी। जब ने दंगल की थी तो तभी से वह मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर थी। क्योंकि फिल्म में जायरा के बाल काटे गए थे। जिसके कारण उसके परिवार वालों को धमकी भी मिली।