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दो लाख महीना कमाने वाले माया के पूर्व प्रमुख सचिव की 230 करोड़ की 'बेनामी' संपत्ति जब्त

Published : Sep 25, 2019, 02:30 PM ISTUpdated : Sep 25, 2019, 02:32 PM IST
दो लाख महीना कमाने वाले माया के पूर्व प्रमुख सचिव की 230 करोड़ की 'बेनामी' संपत्ति जब्त

सार

असल में कुछ महीने पहले आयकर विभाग ने नेतराम के प्रतिष्ठानों में छापे मारे थे। जहां से उनकी अघोषित संपत्ति के बारे में आयकर विभाग को जानकारी मिली थी। इसके बाद ईडी ने भी नेतराम से पूछताछ की थी। हालांकि नेतराम को गिरफ्तार नहीं किया गया। लेकिन आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध कानून, 1988 की धारा 24(तीन) के तहत कार्यवाही की है। नेतराम उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर थे और वह कई सालों से गन्ना और चीनी विकास विभाग में प्रमुख सचिव भी रहे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी और पूर्व आईएएस अफसर नेता की पास आयकर विभाग ने 230 करोड़ की ‘बेनामी’ संपत्ति को जब्त किया है। नेतराम की दिल्ली, नोएडा, कोलकाता और मुंबई में 19 अचल संपत्ति को आयकर विभाग ने जब्त किया है। नेतराम बसपा प्रमुख मायावती के करीबी अफसर माने जाते हैं और वह मायावती के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं।

असल में कुछ महीने पहले आयकर विभाग ने नेतराम के प्रतिष्ठानों में छापे मारे थे। जहां से उनकी अघोषित संपत्ति के बारे में आयकर विभाग को जानकारी मिली थी। इसके बाद ईडी ने भी नेतराम से पूछताछ की थी। हालांकि नेतराम को गिरफ्तार नहीं किया गया। लेकिन आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध कानून, 1988 की धारा 24(तीन) के तहत कार्यवाही की है। नेतराम उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अफसर थे और वह कई सालों से गन्ना और चीनी विकास विभाग में प्रमुख सचिव भी रहे।

यूपी में हुए चीनी निगम घोटाले में नेतराम की भूमिका की जांच चल रही है। जांच में ये भी जानकारी मिली है कि पूर्व अधिकारी ने अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर बेनामी संपत्ति खरीदी है। जब आयकर विभाग ने नेतराम के विभिन्न ठिकानों पर मार्च में छापा मारा था। तो इस दौरान 1.64 करोड़ रुपये की नकदी और पांच महंगी एसयूवी कार जब्त की गई थी। आयकर विभाग का दावा है कि नेता के वहां से 300 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति से जुड़े कागजात मिले हैं।

बसपा सरकार में नेतराम की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि उनकी इजाजत के बगैर राज्य में कोई भी सरकारी काम नहीं होता था। यहां तक कि मंत्रियों और विधायकों को मिलने के लिए इंतजार करना पड़ता था। नेतराम राज्य के पहले नौकरशाह हैं जिन्होंने केन्द्र में सचिव न बनने के लिए कैट का दरवाजा खटखटाया था।

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