गहलोत सरकर ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के आगे से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया है। इस तरह से इस योजना का नाम एक बार फिर से मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया है।
जयपुर--राजस्थान की सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने सरकारी योजनाओं के नाम बदलेने की राजनीति शुरु कर दी है। कांग्रेस की सरकार की तरफ से खासकर उन योजनाओं के नाम बदले जा रहा हैं जिनके नाम जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर हैं।
गहलोत सरकर ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के आगे से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया है। इस तरह से इस योजना का नाम एक बार फिर से मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया गया है।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली कैबिनेट की बैठक में सरकारी दस्तावेज से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटा दिया था। पूर्व भाजपा सरकार ने तीर्थ यात्रा योजना का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना किया था।
इस योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की रेल और हवाई माध्यम से निशुल्क यात्रा कराई जाती है।
दिलचस्प बात ये है कि इससे पहले गहलोत सरकार ने जमीनों के पट्टों के ऊपर से दीनदयाल उपाध्याय का लोगो हटाया गया था। इसके अलावा कैबिनेट की पहली बैठक में गहलोत सरकार ने फैसला किया था कि किसी भी सरकारी लेटर पैड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय का लोगो नहीं छापा जाएगा।
वहीं, बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल में दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी मनाने के का आदेश जारी किया था। इसी मद्देनजर सूबे में सभी तरह के सरकारी पत्र व्यवहार में अशोक स्तंभ के साथ साथ पंडित दीनदयाल का लोगो लगाने का आदेश जारी किया था।