सियासी उठापटक के बीच राज्यपाल से मिले गहलोत? क्या कर रहे हैं शक्ति परीक्षण की तैयारी

By Team MyNationFirst Published Jul 19, 2020, 11:28 AM IST
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बैठक में सीएम गहलोत ने राज्यपाल को राज्य के मौजूदा सियासी हालात की जानकारी दी। हालांकि विशेष सत्र को बुलाने को लेकर क्या एजेंडा इस पर कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है। क्योंकि राज्य में कोरोना संकट जारी है और ऐसे में विशेष सत्र बुलाने का मकसद साफ होना चाहिए।

जयपुर। राज्य में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्रा से मुलाकात की। इसके बाद राज्य में एक बार फिर सियासी माहौल गर्मा गया है। कसास लगाए जा रहे हैं कि अशोक गहलोत अपना शक्ति परीक्षण कर सकते हैं। वहीं इसकी भी संभावना है कि सीएम अपने कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं। हालांकि सीएम और राजभवन की ओर से इसे शिष्टाचार भेंट बताया गया है। लेकिन सियासी अटकलें जारी हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यपाल और सीएम के बीज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने पर भी चर्चा हुई है।

कहा जा रहा है कि दोनों की बैठक में सीएम गहलोत ने राज्यपाल को राज्य के मौजूदा सियासी हालात की जानकारी दी। हालांकि विशेष सत्र को बुलाने को लेकर क्या एजेंडा इस पर कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है। क्योंकि राज्य में कोरोना संकट जारी है और ऐसे में विशेष सत्र बुलाने का मकसद साफ होना चाहिए। असल में नियमों के मुताबिक, कैबिनेट के प्रस्ताव के आधार पर राज्यपाल सत्र आयोजित करने की मंजूरी देते हैं लेकिन अभी तक कैबिनेट ने कोई प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को नहीं भेजा है।

फिलहाल राज्य के सीएम अशोक गहलोत की मुश्किलें शनिवार को कम हुई जब दो विधायकों वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी ने राजनीतिक जंग में अशोक गहलोत का साथ देने का फैसला किया है। हालांकि कांग्रेस के बागी सचिन पायलट के साथ 18 विधायकों का समर्थन है जबकि तीन विधायक पायलट गुट को समर्थन कर रहे हैं।

क्या है सियासी गणित

राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में सरकार के जरिए 101 विधायकों का समर्थन जरूरी है। वहीं कांग्रेस की गहलोत सरकार के पास 101 विधायकों का समर्थन है। इसमें 86 कांग्रेस के हैं जबकि 10 निर्दलीय विधायक और पांच छोटे दलों के विधायक गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। जबकि पायलट गुट के पास 18 समेत तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।

ताकत का एहसास कराना चाहते हैं गहलोत

राज्य के सीएम गहलोत गहलोत अपने विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहते हैं और संदेश देने चाहते हैं कि सरकार पर कोई खतरा नहीं हैं। लिहाजा बहुमत परीक्षण करना चाहते हैं।  गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि इस मुद्दे को निपटाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है और फिर फ्लोर टेस्ट भी किया जा सकता है। 

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