
अहमदाबाद: ‘संतोख ओडेदरा, अरुणा गमेती, शकुंतला मल और नितिका गोहिल’ यह चार नाम आज सोशल मिडिया पर छाए हुए हैं। ये सभी गुजरात एटीएस(आतंक विरोधी दस्ते) की जांबाज अधिकारी हैं। इन्होंने दुर्दान्त गैंग्स्टर जुसब अल्लारक्खा को इतने जबरदस्त तरीके से गिरफ्तार किया कि उसकी सारी चतुराई धरी की धरी रह गई।
यह इतना खतरनाक अपराधी था कि उसके उपर हत्या और लूट के 15 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। वह इतना शातिर था कि वह अपने पास न तो कोई गाड़ी रखता था और ना ही मोबाइल। अल्लारक्खा यात्राएं करने के लिए घोड़े का इस्तेमाल करता था, जिससे किसी तरह उसकी लोकेशन का पता नहीं लगाया जा सके।
लेकिन संतोख ओडेरा, अरुणा, शकुंतला और नितमिका ने इस बड़े अपराधी को पकड़ने के लिए जबरदस्त प्लान बनाया। उन्होंने अल्लारक्खा को उसी के हथियार से मात देने का फैसला किया।
महिला पुलिस अधिकारियों की इस टीम ने बिना गाड़ी के बोटाड के घने जंगलों में डेढ़(1.5) किलोमीटर की पैदल यात्रा की। जिससे कि अल्लारक्खा को किसी तरह भनक नहीं लग पाए।
इन महिला अधिकारियों की टीम के साथ एक पुलिस अधिकारी जिग्नेश अग्रावत भी थे। लेकिन उनकी भूमिका सिर्फ सहयोग करने तक सीमित थी। अल्लारक्खा को पड़ने का पूरा ऑपरेशन महिला अधिकारियों ने ही संभाला था।
एटीएस टीम को मुखबिर से अल्लारक्खा के छिपने के ठिकाने का पता चल गया था। चारो महिला अधिकारी जंगल में जाकर इस अपराधी के ठिकाने के पास जाकर छिप गईं। जैसे ही सुबह हुई और अल्लारक्खा अपने ठिकाने से बाहर आया। चारो महिलाओं ने उसे बंदूकों के निशाने पर ले लिया औऱ समर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारी संतोख ओडेरा आगे बढ़ीं और उसकी मुश्कें कस दी गईं।
जुसब अल्लारक्खा पर हत्या, लूट, फिरौती और जमीन हड़पने के लगभग दो दर्जन मामले दर्ज थे। वह जूनागढ़ पुलिस के लिए कई सालों से सिरदर्द बना हुआ था। वह पिछले साल जून में ही परोल पर छूटा था और फरार हो गया था।
वह अपराध करके जूनागढ़ में बोटाद के घने जंगलों में छिप जाया करता था। लेकिन इस बार एटीएस की महिला अधिकारियों ने अल्लारक्खा के आपराधिक साम्राज्य का खात्मा करने का संकल्प कर लिया था। जिसमें उन्हें अपने मजबूत इरादों के कारण सफलता मिल गई।