लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव राजनैतिक तौर पर हाशिए पर चले गए हैं। पार्टी महज पांच सीटों पर ही लोकसभा चुनाव जीती है। हालात ये हैं कि यादव गढ़ कहे जाने वाली लोकसभा सीटों पर पार्टी को हार मिली है। यहां तक कि अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल को चुनाव नहीं जीता पाये हैं। जबकि दो चचेरे भाई अक्षय यादव और धर्मेन्द्र यादव भी चुनावी बिसात में हार गए हैं।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। राज्य में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़कर भविष्य में किसी से गठबंधन न करने का ऐलान कर दिया है। वहीं अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के अध्यक्ष और एसपी के बागी विधायक शिवपाल यादव ने भी साफ कर दिया है कि वह अपनी पार्टी का एसपी में विलय नहीं करेंगे और न ही अखिलेश के साथ समझौता करेंगे। अगर देखें तो ये दोनों राजनैतिक दल पूरी तरह से अखिलेश को राजनैतिक तौर पर खत्म करने की रणनीति पर ही काम कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव राजनैतिक तौर पर हाशिए पर चले गए हैं। पार्टी महज पांच सीटों पर ही लोकसभा चुनाव जीती है। हालात ये हैं कि यादव गढ़ कहे जाने वाली लोकसभा सीटों पर पार्टी को हार मिली है। यहां तक कि अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल को चुनाव नहीं जीता पाये हैं। जबकि दो चचेरे भाई अक्षय यादव और धर्मेन्द्र यादव भी चुनावी बिसात में हार गए हैं।
अब अखिलेश को ये समझ में नहीं आ रहा है कि वह क्या करें। एक महीने पहले तक समाजवादी पार्टी की दोस्त कही जाने वाली बहुजन समाज पार्टी राज्य में उसकी दुश्मन हो गयी है। जबकि पहले से ही भारतीय जनता पार्टी अखिलेश को लगातार चुतौती दे रही हैं। अखिलेश को लग रहा था कि बीएसपी के साथ चुनाव गठजोड़ के बाद वह राज्य में अपने को राजनैतिक तौर पर स्थापित कर लेंगे। चुनाव में बीएसपी ने खुद को स्थापित कर लिया, लेकिन अब अखिलेश राजनैतिक तौर पर हाशिए पर हैं। राज्य में होने वाले उपचुनाव में अब एसपी के मुकाबले बीजेपी के साथ ही बीएसपी मैदान में होगी।
बीएसपी कर रही है मुस्लिमों पर फोकस
बीएसपी राज्य में अब मुस्लिमों के लिए विकल्प बनने की रणनीति पर काम कर रही है। मायावती बार-बार ये बयान दे रही है कि अखिलेश ने ही मुस्लिम नेताओं को टिकट देने के लिए मना किया था। सच्चाई ये भी है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर बीएसपी जीती है। वहीं इस बार चुनाव में मुस्लिमों ने बीसएपी को खुलकर वोट दिया है।
हालांकि अभी तक अखिलेश मायावती के इस बयान को खारिज नहीं कर पाए हैं। लिहाजा उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए फिर से एक कठिन परीक्षा हैं। मायावती खुलेआम मुलायम परिवार पर तंज कसती दिख रही है। लेकिन अखिलेश अपमान का घूंट पी रहे हैं और फिलहाल शांत हैं।
शिवपाल ने कर दी 2022 की तैयारी
मुलायम सिंह के परिवार के ही शिवपाल सिंह यादव अब अखिलेश से किसी भी तरह के समझौते के पक्ष में नहीं है। शिवपाल ने साफ कर दिया कि वह राज्य में एसपी का विकल्प बनने जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी कर ली है। एसपी में कई नेता ऐसे भी हैं जो लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के बाद अन्य दलों के संपर्कों में हैं खासतौर से शिवपाल के संपर्क में।
एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी पार्टी को फिर खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा है। वह भी बीएसपी की तरह एसपी के पुराने नेताओं को पार्टीं में सम्मान के साथ लाना चाहते हैं। लेकिन शिवपाल यादव ने साफ कर दिया है कि वह अखिलेश के सामने झुकेंगे नहीं। शिवपाल की पार्टी ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं।