राफेल सौदे विवाद के बीच सीतारमण ने फ्रांसीसी रक्षामंत्री पार्ली से की बातचीत

By PTI Bhasha  |  First Published Oct 12, 2018, 9:11 AM IST

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों रक्षामंत्रियों ने परस्पर हित के विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद आपस में बातचीत की। 

राफेल सौदे पर उठे भारी विवाद के बीच रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को अपने फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ भारत और फ्रांस के बीच सामरिक और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तौर तरीकों पर व्यापक बातचीत की।

यह बातचीत वार्षिक भारत-फ्रांस रक्षा मंत्रीस्तरीय वार्ता के प्रारुप के तहत हुई जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों के बीच शिखर वार्ता दौरान सहमति बनी थी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों रक्षामंत्रियों ने परस्पर हित के विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद आपस में बातचीत की। 

दोनों पक्षों ने अपने सशस्त्र बलों खासकर समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के अलावा दोनों देशों द्वारा सैन्य मंचों और हथियारों के सह-उत्पादन पर चर्चा की। फिलहाल यह ज्ञात नहीं है कि बातचीत के दौरान राफेल सौदा का विषय उठा या नहीं।

सीतारमण की फ्रांस यात्रा फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट विमानों की खरीद को लेकर उठे भारी विवाद के बीच हो रही है।

बुधवार को समाचार संगठन मीडियापार्ट ने खबर दी कि राफेल विनिर्माता दसाल्ट एविएशन को यह सौदा करने के लिए भारत में अपने ऑफसेट साझेदार के तौर पर अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को चुनना पड़ा। जब इन आरोपों के बारे में पूछा गया तो सीतारमण ने कहा कि सौदे के लिए ऑफसेट दायित्व अनिवार्य था, न कि कंपनियों के नाम। 

मीडियापार्ट का यह नवीनतम समाचार ऐसे समय में आया है जब उससे पहले पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पिछले महीने कहा था कि फ्रांस को दसाल्ट के लिए भारतीय साझेदार के चयन के लिए कोई विकल्प नहीं दिया गया था और भारत सरकार ने इसी भारतीय कंपनी का नाम प्रस्तावित किया था। ओलांद जब फ्रांस के राष्ट्रपति थे तभी यह सौदा हुआ था।

अधिकारियों ने बताया कि सीतारमण राफेल के उत्पादन की प्रगति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को पेरिसर में राफेल विनिर्माण संयंत्र जायेंगी।

कांग्रेस इस सौदे में में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि संप्रग सरकार के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये प्रति राफेल तय हुई थी। कांग्रेस दसाल्ट के ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस डिफेंस के चयन को लेकर भी सरकार को निशाना बना रही है।

click me!