जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला संभव, अमित शाह लगातार कर रहे बैठक

By Team MyNationFirst Published Jun 4, 2019, 4:49 PM IST
Highlights

मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ज्यादातर विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं। आरोप है कि पिछली बार जब परिसीमन हुआ था तो यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया।

केंद्रीय गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के बाद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लगातार एक्शन में हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकती है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार विधानसभा में प्रतिनिधित्व की असमानता दूर करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन पर विचार कर रहे हैं। राज्य में परिसीमन पर 2002 में नेशनल कांफ्रेंस की सरकार ने रोक लगा दी थी।

सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात में इस पर चर्चा हुई थी। इसके बाद गृहमंत्रालय में हुई बैठकों में गृह सचिव राजीव गौबा, आईबी के प्रमुख राजीव जैन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी शामिल किया गया। इसके अलावा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुखों से भी चर्चा की गई है।

मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में ज्यादातर विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं। जबकि जम्मू क्षेत्र कश्मीर से बड़ा है। आरोप है कि पिछले समय में हुए परिसीमन में यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया। जिसके चलते जम्मू क्षेत्र को विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। जम्मू क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस असमानता को दूर करने की मांग करते आए हैं। 

यह भी पढ़ें - आतंकियों पर शाह का कहर; तिहाड़ में यासीन, आसिया और शब्बीर के साथ होगा मसर्रत आलम

राज्य में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था। जब गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं, लेकिन 24 सीटों को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के लिए खाली रखा गया है। बाकी बची 87 सीटों पर ही चुनाव होता है। 

राज्य के संविधान के मुताबिक हर 10 साल बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होना चाहिए। इस तरह से जम्मू-कश्मीर में सीटों का परिसीमन 2005 में किया जाना था, लेकिन फारुक अब्दुल्ला सरकार ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी। अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू-कश्मीर जनप्रतिनिधित्व कानून, 1957 और जम्मू-कश्मीर के संविधान में बदलाव करते हुए यह फैसला किया था। 

इस बीच, जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रवींद्र रैना ने विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में परिसीमन की मांग की है। 

click me!