जम्मू-कश्मीर के गवर्नर मलिक की दो टूक, 'कोई गोलियां चलाएगा तो सुरक्षा बल गुलदस्ता नहीं देंगे'

By Team MyNationFirst Published Jun 22, 2019, 10:11 PM IST
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राज्यपाल मलिक ने कहा, शुक्रवार को नमाज के बाद की जाने वाली पत्थरबाजी तकरीबन रुक चुकी है। हम युवाओं की मुख्यधारा में वापसी चाहते हैं। आज हुर्रियत भी सरकार से बात करना चाहती है।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आतंकवादी घटनाओं को लेकर बड़ा बयान देते हुए साफ कर दिया है कि गोलियों का जवाब गोलियों से ही दिया जाएगा। अगर कोई सामने से फायरिंग करेगा तो सुरक्षा बल चुप नहीं बैठेंगे। 

शनिवार को राज्यपाल मलिक ने कहा कि पिछले साल अगस्त से कश्मीर घाटी में हालात बेहतर हुए हैं। आज हुर्रियत कांफ्रेंस सरकार के साथ बातचीत करना चाहती है। मलिक ने कहा, ‘हुर्रियत कांफ्रेंस बातचीत करना नहीं चाहती थी। राम विलास पासवान उनके दरवाजे पर (2016 में) खड़े थे। लेकिन वे लोग बातचीत के लिए तैयार नहीं थे।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज वे बातचीत के लिए तैयार हैं और वार्ता करना चाहते हैं।’ 

J&K Governor Satya Pal Malik: We should work with noble intentions. The manner in which the youth is being misled that they will ascend to heavens...they actually have two heavens, one in Kashmir, and the other which they will get later if they stay a good Muslim. https://t.co/i8VVsBUkLi

— ANI (@ANI)

मलिक ने कहा कि पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर का उनके राज्यपाल बनने के बाद से हालात में सुधार हुआ है। आतंकवादियों की भर्ती लगभग थम गई है और शुक्रवार को होने वाली पथराव की घटनाएं भी बंद हो गई है। राज्यपाल ने कहा, ‘जब कोई युवक मारा जाता है तो हमें अच्छा नहीं लगता...।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब कोई गोली चलाएगा, तब सुरक्षा बल भी जवाबी गोलीबारी करेंगे। वे गुलदस्ता नहीं भेंट करेंगे।’ उन्होंने संकेत दिया कि देश में कहीं और बैठकर कश्मीर के हालात का आकलन करना आसान नहीं है। 

मलिक ने कहा, ‘जब मैं दिल्ली जाता हूं, तब ऐसे कई लोग हैं जो कश्मीरी होने का दावा करते हैं। मैं उनसे पूछता हूं कि वे कश्मीर में कब थे। वे कहते हैं 15 साल पहले।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन कश्मीर 15 दिन में बदल जाता है, आप कुछ नहीं जानते। यदि आप कश्मीर को जानना चाहते हैं तो वहां रहिए और उसे देखिए।’ 

उन्होंने कहा कि जब वह राज्य में आए तब उन्होंने फैसला किया कि वह सिर्फ बुद्धिजीवियों की नहीं सुनेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं करीब 200 लोगों के संपर्क में हूं और मैं उनसे समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करता हूं।’ (इनपुट भाषा से भी)

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