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सत्ता गई तो फिर आमने सामने हैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, दिग्गी समर्थक नेता को किया संगठन से बाहर

Published : Jun 26, 2020, 07:19 PM IST
सत्ता गई तो फिर आमने सामने हैं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, दिग्गी समर्थक नेता को किया संगठन से बाहर

सार

असल में दो साल पहले हुए विधानसभा चुनावों के बाद कमलनाथ को सीएम बनाने में दिग्विजय सिंह का हाथ था। लिहाजा ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करते कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक साथ आ गए। जब भी राज्य में कमलनाथ का विरोध होता तो दिग्गी राजा सामने आते। लिहाजा कमलनाथ को दिग्विजय सिंह की हर बात माननी पड़ती। लिहाजा दिग्विजय सिंह ने सरकार से लेकर संगठन में अपने लोगों को अहम पदों पर नियुक्त कर दिया था।

भोपाल। राज्य में 24 सीटों के होने वाले उपचुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी उभरने लगी है।  राज्य में दिग्विजय और कमलनाथ के गुटों के बीच विवाद  सामने आने लगे हैं। क्योंकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने संगठन में बदलाव करते हुए प्रदेश कोषाध्यक्ष के पद से गोविंद गोयल हटा दिया है और उन्हें पीसीसी से भी बाहर कर दिया है। गोयल को दिग्विजय सिंह का समर्थक माना जाता है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिग्विजय सिंह और कमनलाथ के बीच गुटबाजी तेज होगी। वहीं संगठन पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए कमलनाथ दिग्गी राजा समर्थकों को पीसीसी से बाहर कर सकते हैं।

असल में दो साल पहले हुए विधानसभा चुनावों के बाद कमलनाथ को सीएम बनाने में दिग्विजय सिंह का हाथ था। लिहाजा ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध करते कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक साथ आ गए। जब भी राज्य में कमलनाथ का विरोध होता तो दिग्गी राजा सामने आते। लिहाजा कमलनाथ को दिग्विजय सिंह की हर बात माननी पड़ती। लिहाजा दिग्विजय सिंह ने सरकार से लेकर संगठन में अपने लोगों को अहम पदों पर नियुक्त कर दिया था। वहीं मार्च में सिंधिया की विदाई के बाद कमलनाथ और दिग्विजय गुट अब आमने सामने हैं।  क्योंकि कमलनाथ गुट के लोगों का कहना है कि अगर दिग्विजय सिंह सिंधिया के खिलाफ न होते तो आज राज्य में कांग्रेस की सरकार होती है और विधायक पार्टी से बगावत न करते।

कुछ नेताओं का ये भी कहना है कि अगर सिंधिया को राज्यसभा में भेज दिया जाता तो राज्य में  सरकार बची रहती है और सिंधिया केन्द्र की राजनीति में चले जाते। लेकिन दिग्विजय की राज्यसभा पहुंचने की जिद से सिंधिया-समर्थक विधायकों ने पार्टी से बगावत की। जिसके कारण राज्य की सत्ता से पार्टी बेदखल हो गई। इसका सबसे बड़ा नुकसान कमलनाथ को हुआ। जबकि दिग्विजय सिंह राज्यसभा पहुंच ही गए। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर आ गई है और इसका असर 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में देखा जाएगा। क्योंकि आने वाले दिनों में कमलनाथ दिग्विजय सिंह गुट के नेताओं को संगठन से बाहर कर सकते हैं।
 

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