असल में पाकिस्तान में इमरान खान कमजोर होते जा रहे हैं। इसके कई प्रमाण हैं। लेकिन आज जो पाकिस्तान की सेना ने फैसला किया है। उससे इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान में इमरान खान कमजोर हो रहे हैं और सेना ही बड़े फैसले कर रही है। इमरान खान केवल कठपुतली बनकर काम रहे हैं।
नई दिल्ली। पाकिस्तान में लग रहा है कि सेना को अब वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान चुभने लगे हैं। सेना इमरान का कई मामलों में साथ नहीं दे रही है। वहीं करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए इमरान खान द्वारा लिए गए फैसले को पाकिस्तानी सेना ने पलट दिया है। अब पाकिस्तान की सेना ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए पाकिस्तान के लिए पासपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। जबकि पहले इससे छूट दी गई थी।
असल में पाकिस्तान में इमरान खान कमजोर होते जा रहे हैं। इसके कई प्रमाण हैं। लेकिन आज जो पाकिस्तान की सेना ने फैसला किया है। उससे इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान में इमरान खान कमजोर हो रहे हैं और सेना ही बड़े फैसले कर रही है। इमरान खान केवल कठपुतली बनकर काम रहे हैं। आज पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफ्फूर ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत से जाने वाले सिख श्रद्धालुओं के लिए पासपोर्ट अनिवार्य कर दिया है। हालांकि पहले पाकिस्तान ने इससे छूट दी थी। क्योंकि ये एक कॉरिडोर है। जिसमें श्रद्धालु यात्रा कर वापस आएंगे।
हालांकि इमरान खान की कम होती ताकत का एक उदाहरण ये भी है कि पाकिस्तान में विपक्षी दलों के आजादी मार्च के लिए सेना ने इमरान खान सरकार का साथ देने से मना कर दिया है। हालांकि पहले सेना ने साफ किया था कि आजादी मार्च के लिए इमरान सरकार की मदद की जाएगी। लेकिन बाद में पाकिस्तान की सेना ने इससे किनारा कर लिया था। पासपोर्ट जरूरी करने के फैसले पर पाकिस्तान की सेना के अपने तर्क हैं। उसका कहना है कि ये देश की सुरक्षा का सवाल है। लिहाजा करतारपुर साहब आने वाले सिख श्रद्धालुओं को वैध पासपोर्ट के आधार पर ही प्रवेश दिए जाने का फैसला किया है।
पाकिस्तान भारतीय तीर्थ यात्रियों से एक तरह के जजिया कर की वसूली कर रहा है। क्योंकि इससे पहले भारत सरकार इस कर को हटाने की मांग कर चुकी है। पाकिस्तान ने हर तीर्थयात्री पर 20 डॉलर का टैक्स लगा है। माना जा रहा कि इससे पाकिस्तान हर साल करीब 350 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। गौरतलब है कि पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब के जरिए खालिस्तान के एजेंडे को चला रहा है। वह इसका इस्तेमाल भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए करेगा।