चुनावी साल में कोरोना संकट के बीज बिहार में तेज प्रताप यादव कर रहे हैं 'सद्बुद्धि महायज्ञ', क्या है कारण

By Team MyNation  |  First Published Apr 26, 2020, 7:04 PM IST

असल में कोरोना संकट के बीच भी राज्य में सियायत गर्मीयी हुई है। राज्य में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड और राजद के बीच में प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे बच्चों को लेकर वादविवाद शुरू गया है। नीतीश कुमार अभी  प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लेकर कोई फैसला नहीं कर सकें हैं जबकि अन्य सरकारें कोटा से छात्रों को उनके घरों तक पहुंचा चुके हैं।

पटना। बिहार में चुनावी साल और कोरोना संकट के बीच मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल के नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े तेज प्रताप यादव सद्बुद्धि महायज्ञ' कर रहे हैं। क्या तेज प्रताप यादव कोरोना को भगाने के लिए यज्ञ कर रहे हैं या फिर चुनाव जीतने के लिए। लेकिन ऐसा नहीं है। तेज प्रताप यादव बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सद्बुद्धि के लिए महायज्ञ कर रहे हैं। 

असल में कोरोना संकट के बीच भी राज्य में सियायत गर्मीयी हुई है। राज्य में सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड और राजद के बीच में प्रवासी मजदूरों और कोटा में फंसे बच्चों को लेकर वादविवाद शुरू गया है। नीतीश कुमार अभी  प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लेकर कोई फैसला नहीं कर सकें हैं जबकि अन्य सरकारें कोटा से छात्रों को उनके घरों तक पहुंचा चुके हैं। जबकि बिहार सरकार द्वारा कोई फैसला नहीं किए जाने के बाद राजद को बड़ा मौका मिल गया है।

राज्य में इस साल चुनाव होने हैं और ऐसे में राजद कोई मौका नहीं चाहता है। लिहाजा तेज प्रताप यादव पटना में  'सद्बुद्धि महायज्ञ'  कर सुर्खियां में आ गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर है। तेजस्वी प्रताप यादव पहले ही नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं वहीं अब उनके बड़े भाई और बिहार के पूर्व मंत्री और 'लालू राबड़ी मोर्चा' के नेता तेज प्रताप यादव ने 'सद्बुद्धि महायज्ञ' का आयोजन कर चर्चा तेज कर दी है।

तेज प्रताप यादव ने नीतीश कुमार से राज्य के छात्रों और मजदूरों को वापस लाने की मांग की है। तेज प्रताप का कहना है कि अलग अलग राज्यों में बड़ी तादाद में बिहार के छात्र में कोरोना लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं और अपने घरों तक नहीं पहुंच पाएं है।  लिहाजा सरकार को विशेष बसों के जरिए इन लोगों का वापस लाना चाहिए। जबकि नीतीश कुमार चुप हैं।

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