'एक देश-एक चुनाव' पर फिर जोर, पीएम मोदी बोले, बिना चर्चा के खारिज न करे विचार

By Team MyNationFirst Published Jun 26, 2019, 8:36 PM IST
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पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा, ‘चुनाव सुधार का काम 1952 से ही हो रहा है। यह होते रहना चाहिए। इसकी चर्चा लगातार खुले मन से होती रहनी चाहिए लेकिन दो टूक यह कह देना ठीक नहीं है कि एक देश-एक चुनाव के हम पक्ष में नहीं है।’ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने के विचार को चुनाव सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुये बुधवार को विपक्षी दलों से ‘एक देश एक चुनाव’ के विचार को चर्चा किए बिना ही खारिज नहीं करने की अपील की। 

मोदी ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘चुनाव सुधार का काम 1952 से ही हो रहा है और यह होते भी रहना चाहिए। मैं मानता हूं कि इसकी चर्चा भी लगातार खुले मन से होती रहनी चाहिए लेकिन दो टूक यह कह देना उचित नहीं है कि एक देश-एक चुनाव के हम पक्ष में नहीं है।’ 

Speaking in the Rajya Sabha https://t.co/1zcKaIxKRr

— Narendra Modi (@narendramodi)

उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा किए बिना ही इस विचार को खारिज नहीं करना चाहिए। मोदी ने कहा कि एक देश एक चुनाव के विचार को खारिज करने वाले तमाम नेता व्यक्तिगत चर्चाओं में कहते हैं कि इस समस्या से मुक्ति मिलनी चाहिए। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी दलों के नेताओं की दलील रही है कि पांच साल में एक बार चुनाव का उत्सव हो और बाकी के समय देश के काम हों। लेकिन सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकारने में दिक्कत होती होगी। उन्होंने पूछा, ‘क्या यह समय की मांग नहीं है कि कम से कम मतदाता सूची तो पूरे देश की एक हो। इससे जनता के पैसे की बहुत मात्रा में बर्बादी को रोका जा सकेगा। 

उन्होंने इसे चुनाव सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बताते हुए कहा कि देश में पहले एक देश चुनाव ही होता था और कांग्रेस को ही इसका सर्वाधिक लाभ मिलने का हवाला देते हुए अब इस पर कांग्रेस के विरोध पर आश्चर्य जताया। मोदी ने देश और राज्य के एक साथ चुनाव कराये जाने पर मतदाताओं को अपने मत का फैसला करने में दिक्कत होने की विपक्षी दलों की दलील को नकारते हुए कहा कि ओडिशा इसका सबसे ताजा उदाहरण है। 

प्रधानमंत्री ने दलील दी कि ओडिशा में अभी लोकसभा और विधानसभा के एकसाथ हुए चुनाव में मतदाताओं ने लोकसभा के लिए एक मतदान किया और विधानसभा के लिए दूसरा मतदान किया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब साफ है कि मतदाताओं में एक ही समय अलग अलग सदनों के लिए मतदान का फैसला करने का विवेक है। 

मोदी ने एक साथ चुनाव होने से क्षेत्रीय पार्टियों के खत्म होने की दलीलों को भी भ्रामक बताते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ जिन चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुये उन सभी में क्षेत्रीय दलों की ही सरकार बनी। उन्होंने इस प्रकार की दलीलों से बचने की अपील करते हुए कहा, ‘किसी नए विचार को चर्चा किए बिना ही नकार देने से बदलाव नहीं आ सकता है। भारत के मतदाता के नीर, क्षीर विवेक पर हम शक नहीं करें, यह मेरा मत है।’’ 

प्रधानमंत्री ने ईवीएम और वीवीपेट के विरोध में भी दी जा रही दलीलों को भी खारिज करते हुये कहा कि विरोधी दलों ने हर बात का सिर्फ विरोध करना ही अपना काम समझ लिया है। चुनाव के दौरान ईवीएम के जरिये गड़बड़ी करने के आरोपों की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि एक समय भाजपा भी मात्र दो सांसदों पर पहुंच गई थी किंतु हमने कभी इस तरह का ‘रोना-धोना नहीं किया।’

पीएम मोदी ने कहा कि जब खुद पर भरोसा न हो, सामर्थ्य न हो तथा आत्ममंथन की तैयारी नहीं हो तो ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि जब से ईवीएम का उपयोग शुरू हुआ है, तब से चुनावी हिंसा और चुनावी धांधली खत्म भी हुई है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ईवीएम को शुरू किया, वे ही आज इसे लेकर शिकायतें कर रहे हैं।

उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी ने भी एक समय में ईवीएम पर सवाल उठाए थे। पर बाद में प्रौद्योगिकी को समझकर इसे अपनाया। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि आप पराजय को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं ? ‘आपके साथ समस्या यह है कि आप जीत को पचा नहीं सकते और हार को स्वीकार करने की आपमें सामर्थ्य नहीं है।’ 

प्रधानमंत्री ने इस प्रवृत्ति को रोकने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि ईवीएम ही नहीं डिजिटल लेनदेन, ‘आधार कार्ड, जीएसटी और डिजिटल मैपिंग सहित सभी नई तकनीकी जरूरतों का विरोध किया गया। मोदी ने कहा कि आधुनिक भारत बनाने के काम में हम तकनीक से कब तके भागते रहेंगे। उन्होंने कहा कि तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के उपाय भी तकनीक से ही मिलता है, इसलिये नयी तकनीक से दूर नहीं रहा जा सकता है।

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