कोरोना संकट को देखते हुए योगी सरकार ने लखनऊ महोत्सव सहित कई कार्यक्रमों को किया रद्द

By Team MyNation  |  First Published Nov 9, 2020, 2:26 PM IST

एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ओडीओपी के 11 हजार उत्पाद ऑमेजन पर उपलब्ध हैं और 24 करोड़ की कीमत के 50 हजार उत्पादों की बिक्री भी हुई है। इसके अलावा विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 916 उद्यमियों को 31 करोड़ 34 लाख रुपए की मदद दी गई है।

लखनऊ। एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) ने परंपरागत उद्योगों में जान फूंक दी है। इसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े स्तर पर खाका तैयार किया है। जो धरातल पर दिखाई देने लगा है। इस योजना के माध्यम से सभी 75 जिलों के अलग-अलग उत्पादों को नई पहचान दी गई है। ओडीओपी ने विश्व में अपनी अलग पहचान बना ली है। इससे यूपी की छवि में निखार आ रहा है। उद्योग विभाग ने नीतियां बनाने से लेकर पिछले तीन साल में करीब 26 सौ उद्यमियों को 82 करोड़ 83 लाख की आर्थिक मदद भी की है। इन उद्योगों में 28 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिले हैं।

एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ओडीओपी के 11 हजार उत्पाद ऑमेजन पर उपलब्ध हैं और 24 करोड़ की कीमत के 50 हजार उत्पादों की बिक्री भी हुई है। इसके अलावा विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 916 उद्यमियों को 31 करोड़ 34 लाख रुपए की मदद दी गई है। साथ ही इससे 10 हजार 733 लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं। ऐसे ही 2019-20 में 1442 उद्यमियों को 43 करोड़ 53 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई और 15 हजार 253 लोगों को रोजगार भी मिले हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अगस्त माह तक 236 उद्यमियों को करीब 7 करोड़ 96 लाख रुपए की मदद दी गई है और 2,114 को लोगों को रोजगार भी मिले हैं।

2018-19 में ओडीओपी का कुल निर्यात 28 फीसदी बढ़कर एक लाख 10 हजार करोड़ पर पहुंच गया। उन्होंने कहा कि ओडीओपी उद्यमियों की समस्याओं का प्राथमिकता पर निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष करने के लिए अपग्रेडेड मशीनें, ट्रेनिंग और आर्थिक मदद भी की जा रही है।

वेस्टर्न यूपी चैंबर एंड कामर्स के भूतपूर्व सेक्रेटरी आर.के. जैन कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्र में हालात में बदलाव प्रदेश में 2017 के बाद देखने को मिले। खासकर परंपरागत उद्योगों को लेकर प्रदेश सरकार की मुहिम सराहनीय है। सरकार उद्यमियों की समस्याओं का समाधान भी कर रही है, जिससे जिलेवार परंपरागत उद्योगों का उत्पादन बढ़ा है। मसलन, सहारनपुर में वुड काविर्ंग उद्योग एक अरसे से पुराने ढंग से काम करता आ रहा है, उन्हें ट्रेनिंग की जरूरत थी। अब सरकार की ओर से ट्रेनिंग के लिए सहायता की जा रही है। इससे उनके उत्पादों में निखार आएगा।

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