राज्यसभा में सपा को भाजपा ने ऐसे दिया झटका, नीरज शेखर को बनाया प्रत्याशी

By Team MyNation  |  First Published Aug 9, 2019, 6:41 AM IST

नीरज शेखर ने राज्यसभा और समाजवादी पार्टी से पिछले महीने ही इस्तीफा दिया था। सपा छोड़ने के अगले दिन ही उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि नीरज के पार्टी छोड़ने के बाद सुरेन्द्र नागर और सपा के कोषाध्यक्ष संजय सेठ ने भी राज्यसभा से इस्तीफा देकर पार्टी से किनारा कर लिया था।

लखनऊ। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की ताकत कम हो गई है जबकि भाजपा की ताकत बढ़ने जा रही है। भाजपा ने राज्यसभा के उपचुनाव के लिए नीरज शेखर को प्रत्याशी बनाया है। नीरज शेखर ने पिछले महीने ही सपा से इस्तीफा दिया था। पिछले एक महीने के दौरान सपा के तीन राज्यसभा सांसद पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। 

नीरज शेखर ने राज्यसभा और समाजवादी पार्टी से पिछले महीने ही इस्तीफा दिया था। सपा छोड़ने के अगले दिन ही उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि नीरज के पार्टी छोड़ने के बाद सुरेन्द्र नागर और सपा के कोषाध्यक्ष संजय सेठ ने भी राज्यसभा से इस्तीफा देकर पार्टी से किनारा कर लिया था। अब उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की खाली सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने नीरज शेखर को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।  

फिलहाल उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा के पास बहुमत होने के कारण नीरज शेखर की जीत तय है। नीरज शेखर अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाते रहे हैं। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने उन्हें बलिया से टिकट नहीं दिया। जिसके बाद नीरज शेखर अखिलेश यादव से नाराज चल रहे थे। इसी बीच उनकी भाजपा के साथ नजदीकियां भी बढ़ती गयी।

लिहाजा उन्होंने सपा को छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। असल में नीरज शेखर 2014 में लोकसभा चुनाव हार गए थे और इसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। शेखर 2019 में भी बलिया सीट से टिकट के प्रमुख दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काटकर सनातन पांडेय को प्रत्याशी बनाया था। हालांकि पांडेय को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

गौरतलब है कि नीरज शेखर पूर्व प्रधानमंत्री और समाजवादी नेता चंद्रशेखर के बेटे हैं। नीरज शेखर ने 2007 में अपने पिता के निधन के बाद बलिया लोकसभा सीट सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। फिर 2009 में दोबारा लोकसभा के लिए इस सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

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