कांग्रेस ही नहीं कई विपक्षी दलों की राज्यसभा में ताकत कम हो रही है। लेकिन अब कांग्रेस के नेता और कर्नाटक से राज्यसभा के सांसद केसी राममूर्ति ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। राममूर्ति ने उपराष्ट्रपति सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपा और जिसे स्वीकार कर लिया गया है। राममूर्ति, कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य थे। फिलहाल इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि पहले ही कांग्रेस की कर्नाटक में सरकार जा चुकी है और वहीं कई नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।
नई दिल्ली। कर्नाटक के कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद केसी राममूर्ति ने राज्यसभा सदस्य पद से दिया इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफा उपराष्ट्रपति को सौंपा। हालांकि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इसके कारणों का जिक्र नहीं किया है। लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि इससे पहले असम के सांसद ने अनुच्छेद 370 के समर्थन में राज्यसभा से इस्तीफा दिया था।
कांग्रेस ही नहीं कई विपक्षी दलों की राज्यसभा में ताकत कम हो रही है। लेकिन अब कांग्रेस के नेता और कर्नाटक से राज्यसभा के सांसद केसी राममूर्ति ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। राममूर्ति ने उपराष्ट्रपति सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपा और जिसे स्वीकार कर लिया गया है। राममूर्ति, कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य थे।
फिलहाल इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि पहले ही कांग्रेस की कर्नाटक में सरकार जा चुकी है और वहीं कई नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि अभी तक राममूर्ति ने कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है। लेकिन माना जा रहा है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
राममूर्ति जून 2016 में कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और राज्यसभा की चार सीटों में तीन सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी जबकि एक सीट भाजपा के हिस्से में आई थी। इस चुनाव में कांग्रेस से ऑस्कर फर्नांडिस, जयराम रमेश और केसी राममूर्ति और भाजपा की नेता निर्मला सीतारमन राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं।
हालांकि केसी राममूर्ति के इस्तीफा देने के बाद ये माना जा रहा है कि मौजूदा राजनीति को देखते हुए वह राज्य की सत्ताधारी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि इसके बाद वह आसानी से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं। क्योंकि सत्ताधारी भाजपा के बहुमत है। जबकि विपक्ष भी राज्य में बंटा हुआ है।