योगी राज में ऑस्कर विजेताओं के लिए मुसीबत बन गया अखिलेश का इनाम, जानें क्या है मामला

By Team MyNation  |  First Published Jun 2, 2019, 12:27 PM IST

ऑस्कर विजेताओं को ये इनाम समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिए थे। क्योंकि इन दोनों को ऑस्कर पुरस्कार मिला था। स्नेहा व सुमन ने इस बार ऑस्कर में पुरस्कृत इस डॉक्युमेंट्री फिल्म में अभिनय किया था। हापुड़ के गांव काठीखेड़ा में दोनों लड़कियों को सैनिटरी नेपकिन बनाने वाली महिलाओं पर आधारित फिल्म के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मिला था।

कुछ दिन पहले सैनिटरी नेपकिन पर आधारित फिल्म पीरियड : द एंड ऑफ सेंटेंस के लिए ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाली सुमन व स्नेहा मिला उनका पुरस्कार ही उनकी मुसीबत बन गया है। ये सब हो रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में।

असल में आस्कर विजेता दोनों लड़कियों को राज्य के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने 1-1 लाख रुपये का इनाम दिया था। जिसके कारण ऐक्शन इंडिया संस्था ने इन दोनों को नौकरी से निकाल दिया है। हालांकि संस्था उनके दावों को नकार रही हैं।

असल में ऐक्शन इंडिया संस्था ने दोनों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने नौकरी के नियम तोड़े हैं। क्योंकि इनाम के चेक उन्हें संस्था में जमा करने चाहिए थे। ऑस्कर विजेताओं को ये इनाम समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिए थे। क्योंकि इन दोनों को ऑस्कर पुरस्कार मिला था।

स्नेहा व सुमन ने इस बार ऑस्कर में पुरस्कृत इस डॉक्युमेंट्री फिल्म में अभिनय किया था। हापुड़ के गांव काठीखेड़ा में दोनों लड़कियों को सैनिटरी नेपकिन बनाने वाली महिलाओं पर आधारित फिल्म के लिए ऑस्कर अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट वर्ग में यह पुरस्कार मिला था।

जिसके बाद दोनों लड़कियों की चर्चा चारों तरफ होने लगी तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुमन व स्नेहा और उनकी टीम को लखनऊ आमंत्रित कर एक-एक लाख रुपये का चेक दिया था। हालांकि ऐक्शन संस्था ने दोनों से 15 मार्च को ही 1-1 लाख रुपये के चेक को संस्था में जमा कराने का आदेश दिया था।

जिसे दोनों ने ठुकरा दिया था। बहरहाल सुमन का आरोप है कि संस्था चेक वापस मांग रही थी, लिहाजा उन्होंने नौकरी छोड़ दी है। सुमन का आरोप है कि संस्था ने उन्हें तीन महीने का वेतन भी नहीं दिया है। हालांकि संस्था की समन्वयक सुलेखा का कहना है कि सुमन ने चेक वापस न करने पर स्वयं नौकरी छोड़ी है। जबकि स्नेहा अब यहां पर कर्मचारी नहीं है और उसने सरकारी नौकरी के लिए पहले ही नौकरी छोड़ दी थी।
 

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