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परमाणु कवच तैयार, एटमी पनडुब्बी अरिहंत को शामिल करते हुए पीएम बोले - ये ब्लैकमेलिंग का जवाब

Ajit K Dubey |  
Published : Nov 05, 2018, 04:17 PM IST
परमाणु कवच तैयार, एटमी पनडुब्बी अरिहंत को शामिल करते हुए पीएम बोले - ये ब्लैकमेलिंग का जवाब

सार

चीन, पाकिस्तान सीमा के हालात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'इस दौर में विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोध समय की मांग है।'

भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। देश की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने पहला डिटरेंट पेट्रोल (गश्त अभियान) पूरा कर लिया है। इसके साथ ही भारत का त्रिस्तरीय सुरक्षा कवच तैयार हो गया है। यानी अब भारत जल, थल, नभ से परमाणु हमले का जवाब देने में सक्षम हो गया है। पीएम मोदी ने आईएनएस को देश को समर्पित करते हुए इसे धनतेरस का तोहफा करार दिया। पीएम मोदी ने कहा, 'अरिहंत का अर्थ है, दुश्मन को नष्ट करना।' उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। यह भारत और शांति के दुश्मनों के लिए खुली चुनौती है कि वे कोई दुस्साहस न करें। यह न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग का जवाब है।' 

पीएम ने ट्वीट किया, 'यह ऐतिहासिक है क्योंकि इसके साथ ही भारत का परमाणु त्रिस्तरीय कवच तैयार हो गया है। भारत की यह उपलब्धि वैश्विक शांति एवं स्थिरता के मामले में महत्वपूर्ण पिलर है।' पीएम ने कहा, मैं सभी को, खासकर आईएनएस अरिहंत के चालक दल को मुबारकबाद देता हूं, वे हमेशा इतिहास में याद किए जाएंगे।' 

चीन, पाकिस्तान सीमा के हालात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस दौर में विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोध समय की मांग है।' उन्होंने कहा, अरिहंत के जरिए हम चुनौतियों से निपटने में सक्षम होंगे और करारा जवाब दे सकेंगे। अरिहंत सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए सुरक्षा की गारंटी जैसा है। 

आईएनएस अरिहंत को शामिल करने से भारत अब किसी भी परमाणु हमले का जवाब जमीन से अग्नि मिसाइल जबकि हवा से लड़ाकू विमानों और जल से आईएनएस अरिहंत के जरिये दे सकता है। भारत ने साफ कह रखा है कि वह परमाणु हथियार 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति पर चल रहा है। वह इनका इस्तेमाल उसी स्थिति में करेगा जब उस पर हमला होगा। 

भारत आईएनएस अरिहंत श्रेणी की पांच पनडुब्बियां विकसित कर रहा है। पहली तीन आकार और क्षमता में एक समान हैं, जबकि दो अन्य इससे बड़ी और ज्यादा मारक क्षमता वाली होंगी। भारत को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में दो दशक का समय लगा है, लेकिन भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है, जो परमाणु पनडुब्बी की क्षमता से संपन्न हैं। 

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