भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अवैध रुप से फांसी पर चढ़ाने की तैयारी में लगे पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने रोक दिया है। इस मामले में आईसीजे ने 15-1 की राय से फैसला दिया है। यानी ज्यूरी के 16 सदस्यों में से 15 लोग कुलभूषण जाधव को जीवनदान देने के पक्ष में थे।
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद का विषय बने रहे कुलभूषण जाधव मामले में ICJ का फैसला भारत के पक्ष में आया है। इस फैसले में भारत को कुलभूषण जाधव को काउंसलर एक्सेस देने को कहा गया है।
फांसी नहीं दे पाएगा पाकिस्तान
आईसीजे का कहना है कि कुलभूषण जाधव की सजा पर पुनर्विचार के लिए उसकी फांसी पर रोक जारी रहेगी। अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव को भारतीय नागरिक स्वीकार किया। कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर पाकिस्तान की तरफ से जाधव को भारतीय नागरिक कहकर संबोधित किया गया।आईसीजे ने कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान के द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों को सही नहीं माना।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत
यह फैसला आने से पहले नीदरलैण्ड में भारत के राजदूत वेणु राजामोनी और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल आईसीजे पहुंच गए थे। जिनकी मौजूदगी में जजों ने फैसला पढ़कर सुनाया। जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि जाधव की फांसी पर रोक लगेगी। यह रोक तब तक रहेगी जब तक पाकिस्तान प्रभावी तौर पर इस पर पुनर्विचार नहीं करता।
भारत की जीत की आधिकारिक रुप से घोषणा
आईसीजे की कानूनी सलाहकार रीमा ओमर ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि की है कि अदालत ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है। जाधव को कांसुलर एक्सेस मिलेगा।
And the decision in the Cade is out!
ICJ has ruled in favour of India on merits, affirming Jadhav’s right to consular access and notification
The Court has directed Pakistan to provide effective review and reconsideration of his conviction and sentences pic.twitter.com/DE3dAb9eIv
क्या है पूरा मामला
दरअसल कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी ने तब ईरान से अगवा कर लिया था, जब वह नौसेना की नौकरी से रिटायर होने के बाद अपने निजी व्यापार के सिलसिले में गए थे। जबकि पाकिस्तान का आरोप है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था जहां वह ईरान से घुसपैठ करके आए थे। पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में बंद कमरे में सुनवाई करते हुए बना जाधव का पक्ष सुने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। जिसके बाद भारत ने 8 मई 2017 को आईसीजे में पाकिस्तान को चुनौती दी थी।
मामले को अंजाम तक पहुंचने में लगे दो साल
आईसीजे की दस सदस्यीय पीठ ने 18 मई 2017 को पाकिस्तान को जाधव की मौत की सजा पर अमल से रोक दिया था। मामले की कार्यवाही पूरी होने में दो साल और दो महीने का वक्त लगा। प्रमुख न्यायाधीश यूसुफ की अध्यक्षता वाली आईसीजे की 15 सदस्यीय पीठ ने भारत और पाकिस्तान की मौखिक दलीलें सुनने के बाद 21 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। कुछ समय पहले पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस की सुविधा देने की भारत की मांग नहीं मानी थी और कहा था कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लंबित है।