अंतरिक्ष में इतिहास रचेगा भारत, चांद में कदम रखने से बस एक दिन दूर

By Team MyNation  |  First Published Sep 6, 2019, 12:28 PM IST

अभी तक चांद पर भेजे गए मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के चांस केवल 37 फ़ीसदी ही सफल हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये मिशन पूरी तरह से सफल होगा और नया इतिहास रचेगा।  रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा में सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा जबकि दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

नई दिल्ली। स्थान-चांद, समय-1.55 और दिन-शनिवार। भारत बस एक दिन बाद अंतरिक्ष में इतिहास रचने की तैयारी में है। क्योंकि चंद्रयान-2 चांद की धरती पर उतरेगा। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रमा में भेजा गया चंद्रयान-2 के विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान शनिवार रात यानी 7 सितंबर की सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह बजे के बीच बाहर निकलेगा।

शनिवार की सुबह 1:55 बजे जब चंद्रयान का लेंडर विक्रम चांद की धरती पर कदम रखेगा तो इसी वक्त भारत एक इतिहास रचेगा और भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा। जिन्होंने अभी तक चंद्रमा में अपने रोवर्स को भेजा है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने का सीधा नजारा देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 विद्यार्थियों के साथ बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र में मौजूद रहेंगे।

जानकारी के मुताबिक अभी तक चांद पर भेजे गए मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग के चांस केवल 37 फ़ीसदी ही सफल हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये मिशन पूरी तरह से सफल होगा और नया इतिहास रचेगा।  रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा में सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा जबकि दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान शनिवार को सुबह साढ़े पांच बजे से साढ़े छह के बीच बाहर निकलेगा और करीब 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। ये वहां से चंद्रमा की परिक्रमा कर धरती से इसरो के वैज्ञानिकों को संबंधित जानकारी भेजता रहेगा।

गौरतलब है कि 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को चांद के लिए प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन में करीब 978 करोड़ रुपये की लागत आई है। चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को शुरू की थी और ये 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था।

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