सत्तारूढ़ पार्टी दावा करती है कि देश का मौजूदा आर्थिक स्वास्थ पटरी पर है और भारतीय अर्थव्यवस्था एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है। वहीं विपक्षी दल दावा करते हैं कि मौजूदा केन्द्र सरकार की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को गर्त में ढकेल दिया है। लेकिन अर्थव्यवस्था की सच्चाई इस राजनीतिकरण से अलग है।
देश में जारी लोकसभा चुनाव अब अपने आखिरी चरण के नजदीक है और लगभग एक हफ्ते में चुनाव के नतीजे देश के सामने होंगे. बीते दो महीने से जारी चुनाव की प्रक्रिया के दौरान सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच देश के आर्थिक स्वास्थ को लेकर मुद्दा खड़ा किया गया।
जहां सत्तारूढ़ पार्टी दावा करती है कि देश का मौजूदा आर्थिक स्वास्थ पटरी पर है और भारतीय अर्थव्यवस्था एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार है। वहीं विपक्षी दल दावा करते हैं कि मौजूदा केन्द्र सरकार की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को गर्त में ढकेल दिया है और अब इसे रिवाइव करने के लिए देश की नई सरकार को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
इन आरोप और दावों के बीच जानिए मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी 5 चुनौतियां और उनका क्या हल है कि एक बार भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती दिखाई देने लगे।
डॉलर-युआन सुधार से मजबूत होगा रुपया
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर की आड़ में करेंसी वॉर भी छिड़ चुका है। बीते कुछ वर्षों के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चीन अपनी मुद्रा को खड़ा करने की कवायद कर रहा है। इस कवायद के चलते डॉलर के मुकाबले चीन के युआन और भारत के रुपए समेत दुनिया के कई देशों की करेंसी संकट के दौर में है। दरअसल चीन अमेरिका का सबसे अहम ट्रेडिंग पार्टनर है और बीते एक दशक के दौरान चीन के पास दुनिया में सबसे बड़ा डॉलर रिजर्व है। इस करेंसी वॉर पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि दुनिया की दोनों सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपनी मुद्राओं की स्थिति को सामान्य करें जिससे रुपये की स्थिति पर पड़ रहा दबाव खत्म हो और रुपये के सहारे भारतीय अर्थव्यवस्था सामान्य व्यवहार करे।
अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर
बीते 9 महीनों के दौरान दुनिया की दोनों शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं चीन और अमेरिका ट्रेड वॉर में व्यस्त हैं. दोनों देश एक दूसरे के कारोबार को नुकसान पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक-दूसरे के लिए टैरिफ में लगातार इजाफा कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का दावा है कि इस ट्रेड वॉर के असर से भारत अछूता नहीं है वहीं माना जा रहा है कि जून के अंत तक दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर समाप्त हो सकता है। ऐसी स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था पर यह दबाव पड़ना बंद होगा और एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था आईएम के दावे पर दुनिया की चमकती अर्थव्यवस्था दिखाई देने लगेगी।
ईरान-अमेरिका विवाद
नाभकीय हथियारों को लेकर ईरान और अमेरिका में जंग की स्थिति बनी हुई है। अमेरिका ने एक बार फिर ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाते हुए दुनिया के सभी देशों से ईरान के साथ कारोबार करने से बचने का दांव चला है। चीन और भारत समेत कई एशियाई देशों के लिए ईरान बेहद अहम है। इन देशों की ऊर्जा जरूरत का सबसे सस्ता और टिकाऊ विकल्प ईरान के पास है। वहीं अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भारत समेत ये देश दबाव में हैं. ऐसी स्थिति में जानकारों का दावा है कि अगले दो-तीन महीनों में अमेरिका-ईरान स्थिति में सुधार के साथ-साथ भारत पर ईरान के आर्थिक प्रतिबंध का असर खत्म हो जाएगा और एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत दिखाई देने लगेगी।
नॉर्मल हो जाए मानसून
बीते पांच साल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे अहम किरदार मानसून का रहा है. जहां इन पांच साल के दौरान देश में मानसून या तो कमजोर रहा या फिर कुछ इलाकों में कमजोर पैटर्न देखने को मिला वहीं एक बार फिर समय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख दक्षिण-पश्चिम मानसून के कमजोर होने का कयास लगाया जा रहा है।
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सरकारी मौसम विभाग और निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट मानसून की देरी और कमजोर एंट्री का दावा कर रहे हैं। लिहाजा, एक बार फिर देश में कमजोर मानसून अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन आने वाले दिनों में यदि मानसून का चाल दुरुस्त रहती है तो खरीफ पैदावार में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। सामान्य मानसून की स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर मजबूत आंकड़े देना शुरू कर देगी।
सही दिशा में जारी रहें आर्थिक सुधार
बीता पांच साल देश में बेहद अहम और एतिहासिक आर्थिक सुधारों के नाम रहा। इस दौरान जहां ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नाम पर कारोबारी तरीकों में बड़े सुधार किए गए वहीं वन नेशन वन टैक्स व्यवस्था के लिए जीएसटी लागू किया गया। आर्थिक जानकारों का दावा है कि किसी भी अर्थव्यवस्था में बड़े आर्थिक सुधारों का फायदा मिलने से पहले नुकसान देखने को मिलता है। हालांकि सुधारों का चक्र पुरा होने का बाद सरकारी खजाने समेत कारोबारी फायदा बढ़ने लगता है। इसके चलते आर्थिक जानकारों ने दावा किया कि जीएसटी जैसे अहम सुधार से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था अपने पूरी क्षमता से काम करने लगेगी।