अनंत कुमार के बारे में कुछ रोचक तथ्य, इस सीट से कभी नहीं हारे चुनाव

By Team MyNationFirst Published Nov 12, 2018, 10:05 AM IST
Highlights

अस्सी के दशक में अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले अनंत कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के बेंगलुरु दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन नीलकेणी को हराया था। 

केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार दक्षिण भारत के उन चुनिंदा चेहरों में शामिल थे, जिन्हें उत्तर भारत की राजनीति में काफी लोकप्रियता हासिल थी। यह उनकी दूसरे दलों में स्वीकार्यता ही थी कि पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा अनंत कुमार को दिया। उन्हें संसदीय कार्यमंत्री बनाया। आरएसएस के निष्ठावान विचारक, संगठन के मजबूत नेता, बेंगलुरु के 'सर्वाधिक प्रिय' सांसद और संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ बोलने वाले पहले व्यक्ति होने का गौरव अनंत कुमार के साथ जुड़ा था।  

22 जुलाई 1959 को एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे अनंत कुमार ने संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरुआत की। अनंत कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के बेंगलुरु दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार नंदन नीलकेणी को हराया था। वह 1987 में कर्नाटक भाजपा के सचिव बने थे। इसके बाद 1996 में बेंगलुरु दक्षिण से भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया। अनंत पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे और पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद वह कभी इस सीट से नहीं हारे। या कहें कि इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

अटल बिहारी वाजेपी के नेतृत्व में जब 1998 में भाजपा की सरकार बनी तो दक्षिण भारत से अनंत कुमार को मंत्री बनाया गया। वह अटल सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री थे। इसके बाद 1999 में फिर चुनाव में जीतने के बाद वाजपेयी सरकार में उन्हें कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई। 2004, 2009 और 2014 में छठी बार लोकसभा सदस्य चुने गए। 

मोदी सरकार ने पहले उन्हें रसायन एवं खाद मंत्री बनाया गया, लेकिन जुलाई 2016 में संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा भी सौंप दिया। भाजपा ने 2003 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। दक्षिण से आने के बावजूद उनकी उत्तर भारत में संगठन पर अच्छी पकड़ थी। वह उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तर एवं मध्य भारत के कई राज्यों में संगठन की ओर से सक्रिय थे। लोकसभा चुनाव 2014 और यूपी के 2017 के विधानसभा चुनाव में भी सक्रिय रहे। 

अनंत कुमार पिछले काफी समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। सोमवार सुबह उनका बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 


 

click me!