दिलचस्प हुआ बेगूसराय में मुकाबला, गिरिराज सिंह के खिलाफ कन्हैया

बिहार में लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है। केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह का पार्टी ने नवादा से टिकट काटकर बेगूसराय से दिया है। वहीं गिरीराज के खिलाफ वहां पर वामदलों की तरफ से जेएनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष और राष्ट्रदोह का मुकद्मा झेल रहे कन्हैया कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। 

Interesting fight will be in begusarai seat in Bihar between Giriraj singh and Kanhaiya kumar

बिहार में लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो गया है। केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह का पार्टी ने नवादा से टिकट काटकर बेगूसराय से दिया है। वहीं गिरीराज के खिलाफ वहां पर वामदलों की तरफ से जेएनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष और राष्ट्रदोह का मुकद्मा झेल रहे कन्हैया कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि इस सीट पर यूपीए गठबंधन ने भी प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को बिहार में भाजपा का फायरब्रांड नेता माना जाता है। गिरिराज सिंह अकसर अपने बयानो से लेकर चर्चा में रहते हैं। लेकिन अब उन्हें बेगूसराय से टिकट देकर पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी हाल में बिहार की इस वीवीआई सीट को जीतना चाहती है। इस सीट में भूमिहारों की संख्या काफी है और वही यहां पर प्रत्याशियों का भविष्य तय करते हैं। इस सीट पर वाम दलों ने जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष और देश विरोधी नारों के लिए राष्ट्रदोह का मुकद्मा झेल रहे कन्‍हैया कुमार को टिकट दिया है।

हालांकि पहले वाम दल बिहार में यूपीए महागठबंधन में शामिल होना चाहते थे लेकिन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने के कारण कांग्रेस ने राजद से वामदलों को इस गठबंधन में शामिल नहीं करने को कहा। राज्य में वामदलों का जनाधार नहीं है। लिहाजा कांग्रेस किसी भी कीमत पर वामदलों को इस गठबंधन में शामिल नहीं करना चाहती थी। हालांकि पहले  गिरिराज सिंह अपनी पुरानी सीट नवादा से ही लड़ने के लिए इच्छुक थे। लेकिन जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए। उन्हें बेगूसराय से टिकट दिया। असल में कन्हैया और गिरिराज सिंह दोनों ही भूमिहार वर्ग से आते हैं और दोनों ही अलग अलग विचारधाराओं के नेता हैं।

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कन्हैया कुमार पहले कभी चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इस बार वामदलों ने उन्हें यहां से खड़ा कर यूपीए महागठबंधन के लिए मुसीबत खड़ी की है। क्योंकि वामदलों के चुनाव लड़ने से सीधा नुकसान यूपीए महागठबंधन को ही होगा। हालांकि गिरिराज सिंह के लिए ये नई जगह है लेकिन बिहार की राजनीति में गिरिराज सिंह कोई नया नाम नहीं है।

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