मोदी सरकार ने ‘माओवादी आतंकवादी विचारधारा’ और ‘भारतीय सेना को बदनाम’ करने वाले पत्रकार को निमंत्रण पर शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई के संकेत दिए हैं। इस पत्रकार को लाल बहादुर शास्त्री आईएएस एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में आईएएस ट्रेनियों और एक कांफ्रेन्स में आर्मी कमांडरों को संबोधित करने के लिए बुलाया गया था।
नई दिल्ली- केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आश्वस्त किया है, कि इस बात की जांच की जाएगी, कि सरकार के प्रतिष्ठित संस्थानों और कार्यक्रमों में संबोधन के लिए निमंत्रण कौन भेज रहा है।
गृह मंत्रालय ने लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मसूरी में आईएएस प्रशिक्षुओं के सामने संबोधन के लिए पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को बुलाने के मामले में शिकायत पाए जाने पर यह जवाब दिया।
शिकायतकर्ता ने पूछा था, कि वरदराजन, जो कि हिंसक नक्सली आंदोलनों का समर्थन करते हैं और भारतीय सेना के विरोध में विचार व्यक्त करते रहते हैं, उन्हें ऐसे संस्थानों में संबोधन देने के लिए क्यों बुलाया जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने भी पिछले साल हुई आर्मी कमांडरों की कांफ्रेन्स को संबोधित करने के लिए वरदराजन को बुलाए जाने का मामला उठाया था।
रक्षा मंत्रालय ने डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलीजेन्स को इस मामले में जांच करने का आदेश दिया है।
इस घटना के बारे में लीगल राइट ऑब्जरवेटरी नाम की संस्था चलाने वाले विनय जोशी ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने वरदराजन को निमंत्रित करने पर सवाल उठाया था। विनय जोशी की शिकायत पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय के वामपंथी चरमपंथी विभाग ने जवाब दिया, कि ‘हमने आईएएस ट्रेनिंग अकादमी में निमंत्रण के मामले में आपकी शिकायत मिली है। हम आपको विश्वास दिलाते हैं, कि इस मामले में अवश्य जरुरी कार्रवाई की जाएगी’
इस मामले में जब माय नेशन ने सिद्धार्थ वरदराजन का जवाब जानना चाहा, तो उन्होंने कहा, कि वह इस मामले को अपनी प्रतिक्रिया के लायक ही नहीं समझते।
दरअसल शिकायतकर्ता विनय जोशी ने वरदराजन पर सक्रिय माओवादी कार्यकर्ता होने का आरोप लगाते हुए कहा था, कि वह छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुए शामनाथ बघेल हत्याकांड में अपनी पत्नी नंदिनी सुंदर, जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, के साथ मुख्य अभियुक्त हैं।
जोशी ने ऐसी ही एक शिकायत रक्षा मंत्रालय को भी दी है। इसमें उन्होंने पिछले साल हुई आर्मी कमांडरों की बैठक में वरदराजन के संबोधन पर आपत्ति जताई है।
जोशी ने अपनी शिकायत में लिखा है, कि ‘पिछले साल सेना ने भारतीय-अमेरिकी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को आर्मी कमांडरों की वार्षिक बैठक को संबोधित करने के लिए बुलाया था। इस व्यक्ति और उनकी पत्नी का पिछला रिकॉर्ड संदेहास्पद है। इस शिकायत के साथ मैं रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का ध्यान सिद्धार्थ वरदराजन के असली चेहरे की ओर खींचना चाहता हूं और रक्षा मंत्रालय तथा आर्मी हेडक्वार्टर से प्रार्थना करता हूं, कि इस तरह के किसी भी शख्स को आर्मी कमांडरों को संबोधित करने का मौका देकर सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह के लोग मानवाधिकार के नाम पर भारतीय सेना और उनके कार्यों को बदनाम करने की साजिश में लगे रहते हैं’।
जोशी ने आरोप लगाया है, कि ‘भारतीय-अमेरिकी पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और उनकी पत्नी का आपराधिक और संदेहास्पद इतिहास रहा है’
आईए शब्दश: जानते हैं, कि जोशी ने अपनी शिकायत मे क्या क्या आरोप लगाए-
1. श्री सिद्धार्थ वरदराजन, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर के पति हैं, जो कि छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर में हुए शामनाथ बघेल हत्याकांड की मुख्य अभियुक्त हैं। ताजा स्थिति यह है, कि वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश की वजह से उनकी गिरफ्तारी रुकी हुई है। शामनाथ बघेल सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिनकी हत्या माओवादियों ने कर दी थी, क्योंकि वह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियों का शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे थे। इस मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर में सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी नंदिनी सुंदर के खिलाफ शामनाथ बघेल की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
यह एफआईआर दर्ज होने के बाद नंदिनी ने माननीय सुप्रीम कोर्ट से मामले को खारिज करने की अपील की, लेकिन अदालत ने पेश किए गए सबूतों के आधार पर ऐसा करने से मना कर दिया।
2. समर्पण किए हुए नक्सली-माओवादी पोडियम पांडा ने रायपुर में एक प्रेस कांफ्रेन्स में स्वीकार किया था कि वह नंदिनी सुंदर के साथ कई बार घने जंगलों में बड़े माओवादी कमांडरों से मिलने गया था। बाद में पांडा ने हाईकोर्ट के सामने भी यह बयान दिया था।
3. सिद्धार्थ वरदराजन ‘द वायर’ के नाम से जो वेबसाइट चलाते हैं, उसमें छपी दुर्भावनापूर्ण न्यूज रिपोर्ट में अक्सर नक्सल विरोधी अभियान में शामिल सुरक्षा बलों पर बलात्कार, शोषण और फर्जी मुठभेड़ के आधारहीन आरोप लगाए जाते हैं। जो कि यह साबित करता है, कि वह कोई पत्रकार नहीं बल्कि माओवादी कार्यकर्ता हैं। उनको सार्वजनिक कार्यक्रमों में बुलाया जाना माओवादी विचारधारा को बढ़ावा देने जैसा है।
4. सिद्धार्थ वरदराजन की वेबसाइट ‘द वायर’ और नंदिनी सुंदर दोनों ने नक्सल विरोधी अभियान में लगे नक्सली कमांडर पर नाबालिग लड़की से बलात्कार का आरोप लगाया था। लेकिन मेडिकल जांच में यह आरोप गलत साबित हुआ बाद में लड़की ने भी यह स्पष्ट किया कि उसके साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ था। नंदिनी सुंदर ने बाद में इस बारे मे अपना ट्वीट मिटा दिया था। लेकिन इस घटना के बारे में ‘द वायर’ में छपी रिपोर्ट अब तक बरकरार है।