अमेरिका के 52 नंबर के जवाब में ईरान का 290 नंबर

By Team MyNation  |  First Published Jan 7, 2020, 8:33 AM IST

अमेरिका और ईरान के बीच रिश्ते अब नाजुक दौर में पहुंच गए हैं। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि कहीं दोनों के बीच में अगर युद्ध हुआ तो ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरूआत हो सकती है। फिलहाल ईरान ने अब खुद को परमाणु संधि से अलग कर लिया है। जिसके बाद वह अपने देश में परमाणु संयत्रों को हथियार उत्पादन के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

नई दिल्ली। अमेरिका और ईरान के बीच तनावग्रस्त रिश्तों में अब नंबर का खेल शुरू हो गया है। दो दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति ने ईरान से कहा था कि उसे 52 नंबर को याद रखना चाहिए अब ईरान के राष्ट्रपति ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा कि उन्हें 290 को याद रखना चाहिए। फिलहाल इन दोनों नंबरों का अर्थ इतनी संख्या में सैन्य ठिकानों पर हमला करना है।

अमेरिका और ईरान के बीच रिश्ते अब नाजुक दौर में पहुंच गए हैं। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि कहीं दोनों के बीच में अगर युद्ध हुआ तो ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरूआत हो सकती है। फिलहाल ईरान ने अब खुद को परमाणु संधि से अलग कर लिया है। जिसके बाद वह अपने देश में परमाणु संयत्रों को हथियार उत्पादन के लिए इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि इसके लिए ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। लेकिन ईरान को इस बात की कोई चिंता नहीं है।

अमेरिका ने पिछले शुक्रवार को ही ईरान के शक्तिशाली कमांडर माने जाने वाले कासिम सुलेमानी को मार गिराया था और इसके बाद अमेरिका ने लगातार इराक में दो बार हमले किए जिसमें उसके अब तक 14 सैनिक और आला अफसर मारे रहे हैं। वहीं अब इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों में लगातार हमले किए जा रहे हैं। हालांकि अमेरिका इन हमलों से नाकामयाब कर रहा है। दो दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के 52 ठिकानों पर हमले की धमकी से दी है।

तो अब ईरान ने अमेरिका को 290 ठिकानों पर हमलों का जवाब दिया है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका से कहा कि वह ईरान को धमकी न दे और वह जो 52 नंबर बता रहे हैं तो उन्हें 290 नंबर भी याद रखना चाहिए। ट्रंप ने उन 52 जगहों को चिन्हित किया है, जो ईरान और उसकी संस्कृति के लिए अहम है। अमेरिका ने साफ कहा कि अगर ईरान अमेरिका पर हमला करता है तो वह बहुत तेजी और मजबूती के साथ ईरान पर हमला करेगा। ईरान ने 1979 में अमेरिका के 290 नागरिकों को बंधक बनाया था।

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