होली पर एकजुट दिखा मुलायम परिवार,क्या साथ आएंगे चाचा-भतीजा

By Team MyNation  |  First Published Mar 11, 2020, 6:54 AM IST

करीब दो साल बाद सैफई में मुलायम सिंह के घर पर की होली के मौके पर मुलायम परिवार में दूरियां कम होती दिखी। मुलायम से नाराज चल रहे शिवपाल सिंह यादव भी होली के कार्यक्रम में पहुंचे और मुलायम सिंह के पैर छूकर आर्शीवाद दिया। शिवपाल सिंह यादव अपने धुरविरोधी कहे जाने वाले राम गोपाल यादव के भी पैर छूए। वहीं सपा अध्यक्ष भी अपने चाचा शिवपाल सिंह के पैर छूए औऱ शिवपाल ने मंच साझा कर सियासी खेमे में हलचल मचा दी। 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फिर मुलायम परिवार में एकजुट दिख रही है। कभी एक दूसरे का चेहरा देखने से परहेज करने वाले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा के बागी विधायक शिवपाल सिंह यादव एक बार फिर मंच पर दिखे। शिवपाल ने अपने विरोधी रामगोपाल यादव के भी पैर छूकर कुछ नरम होने के संकेत दिए। वहीं अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव के पैर छूकर नए सियासी रिश्तों के बनने के संकेत दिए। 

करीब दो साल बाद सैफई में मुलायम सिंह के घर पर की होली के मौके पर मुलायम परिवार में दूरियां कम होती दिखी। मुलायम से नाराज चल रहे शिवपाल सिंह यादव भी होली के कार्यक्रम में पहुंचे और मुलायम सिंह के पैर छूकर आर्शीवाद दिया। शिवपाल सिंह यादव अपने धुरविरोधी कहे जाने वाले राम गोपाल यादव के भी पैर छूए। वहीं सपा अध्यक्ष भी अपने चाचा शिवपाल सिंह के पैर छूए औऱ शिवपाल ने मंच साझा कर सियासी खेमे में हलचल मचा दी। इटावा में पूरा यादव परिवार इस बार होली में शामिल रहा।

इस पारिवारिक कार्यक्रम में राजनैतिक रंग भी दिखे।  जब शिवपाल और अखिलेश एक साथ मंच पर पहुंचे तो कार्यकर्ताओं ने चाचा-भतीजा जिंदाबाद के नारे लगाए तो अखिलेश नाराज हो गए तो उन्होंने कार्यकर्ताओं को डांटते हुए कहा कि अगर वह नारेबाजी करेंगे तो वह अगली बार से होली के कार्यक्रम में हिस्सा लेने नहीं आएंगे। कुछ दिन पहले ही शिवपाल सिंह यादव ने बयान दिया था कि 2022 में होने वाले चुनाव में सपा और प्रसपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे लेकिन प्रसपा का सपा में विलय नहीं होगा।

अब शिवपाल का दो साल के बाद मुलायम के होली मिलन समारोह में जाना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में मुलायम परिवार में एकजुटता दिख सकती है। हालांकि अखिलेश यादव प्रसपा का सपा में विलय चाहते हैं। जबकि शिवपाल ने पिछले दिनों मुलायम सिंह पर आरोप लगाया था कि उनके कहने पर ही उन्होंने प्रसपा का गठन किया था और उन्होंने ही उनका साथ छोड़ दिया है।

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